यूज़र डेटा को यूज़र की अनुमति लिए बिना अमेरिका स्थित कंपनी को भेज दिया गया.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आधिकारिक मोबाइल ऐप, जिसे सिर्फ एन्ड्रॉयड पर 50 लाख से ज़्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है, से यूज़र डेटा को यूज़र की अनुमति लिए बिना अमेरिका स्थित कंपनी को भेज दिया गया, सुरक्षा शोधकर्ताओं ने इन दावों में सच्चाई पाई है, तथा इसकी पुष्टि NDTV ने भी की है. नरेंद्र मोदी ऐप के खिलाफ ये आरोप, जिनकी वजह से सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ है, और जिनकी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कड़ी आलोचना की है, उस समय लगे हैं, जब फेसबुक-कैम्ब्रिज एनालिटिका विवाद के चलते यूज़रों के निजी डेटा का कथित दुरुपयोग संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है.
सत्तासीन BJP ने आरोपों से इंकार करते हुए कहा है कि डेटा का इस्तेमाल सिर्फ विश्लेषण के लिए किया गया, ताकि सभी यूज़रों को 'सबसे सटीक सामग्री' उपलब्ध कराई जा सके. BJP ने कांग्रेस पर भी बरसते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी के ऐप ने भी बिना अनुमति लिए डेटा थर्ड पार्टी को दिया.
'नमो एप' : पीएम मोदी पर राहुल गांधी का तंज, 'मैं नरेंद्र मोदी आपका डेटा अमेरिकी कंपनियों को दे रहा हूं'
अतीत में भारत के राष्ट्रीय पहचान पत्र प्रोजेक्ट आधार की कमज़ोरियों को उजागर करने वाले तथा एलियट एल्डरसन (Elliot Alderson) के नाम से ट्वीट करने वाले सुरक्षा शोधकर्ता ने ही शनिवार को कई ट्वीट कर कहा कि नरेंद्र मोदी ऐप निजी यूज़र डेटा को थर्ड पार्टी के डोमेन पर भेज रही है, जो एक अमेरिकी कंपनी का है.
नरेंद्र मोदी ऐप द्वारा यूज़रों का निजी डेटा बिना अनुमति लिए थर्ड पार्टी के साथ शेयर किए जाने की ओर इशारा करने वाले एलियट एल्डरसन ने रविवार को एक नया ट्वीट किया, जिसमें कहा गया कि ऐप ने उनके पिछले ट्वीट के बाद 'चुपके-से' अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव कर दिया है.
अब एनीमेशन के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी यूं कर रहे योग का प्रचार
NDTV ने इस मामले में विशेषज्ञों से सलाह ली, जिनका कहना था कि कोई ऐप किसी वेबसाइट के साथ डेटा को शेयर कर रही है या नहीं, यह जांचने के लिए डेटा को फोन तथा इंटरनेट के बीच में इंटरसेप्ट करना होगा. इसके बाद NDTV ने इन दावों की जांच की, और इस संवाददाता ने Burp Suite नामक एक लोकप्रिय टूल के ज़रिये यह पता लगाया कि डेटा को कहां भेजा जा रहा है. पड़ताल से पता चला कि जिस समय यूज़र नाम, ईमेल एड्रेस, लिंग तथा शहर जैसी निजी जानकारी ऐप को दे रहा था, उस डेटा को वेबसाइट in.wzrkt.com के साथ शेयर किया जा रहा था.
रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया के दौरान यूज़र को कभी यह जानकारी नहीं दी जाती, या उससे इस बात की अनुमति नहीं ली जाती कि डेटा को किसी थर्ड पार्टी को भेजा जा रहा है - यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे अधिकतर ऐप फॉलो करती हैं.
NDTV ने पता लगाया है कि in.wzrkt.com डोमेन अमेरिका के कैलिफोर्निया में रजिस्टर्ड कंपनी WizRocket Inc का है, और डेटा को मुंबई स्थित एक सर्वर पर भेजा जा रहा है. WizRocket एक डेटा एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म है, जिसे अमेरिकी कंपनी क्लैवरटैप (CleverTap) ने विकसित किया है.
क्लैवरटैप की वेबसाइट कहती है कि मोबाइल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के रूप में 'हम यूज़र बिहेवियर, लोकेशन और लाइफसाइकिल स्टेज के आधार पर दिखने वाले ओमनीचैनल कैम्पेन बनाते और डिलीवर करते हैं...' कंपनी की स्थापना 2013 में तीन भारतीयों द्वारा की गई थी, और भारत के मुंबई, नई दिल्ली और बेंगलुरू के अलावा अमेरिका के कई शहरों में इनके कार्यालय हैं.
पहले एल्डरसन तथा फिर फैक्ट-चेकिंग व वेबसाइट AltNews द्वारा बताए गए लिंक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हमलावर ट्वीट किया, "नमस्ते, मेरा नाम नरेंद्र मोदी है... मैं भारत का प्रधानमंत्री हूं... जब आप मेरी आधिकारिक ऐप पर साइन अप करते हैं, मैं आपका सारा डेटा अमेरिकी कंपनियों में बैठे अपने मित्रों को दे देता हूं... पुनश्चः शुक्रिया मेनस्ट्रीम मीडिया, आप हमेशा की तरह इस अहम ख़बर को दफनाने का बढ़िया काम कर रहे हैं..."
सोशल मीडिया पर लगातार बढ़ती आलोचना के बाद BJP ने कबूल किया कि वह जानकारी को शेयर कर रही थी, लेकिन आमतौर पर ऐसा ही किया जाता है. BJP के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा गया, "राहुल के झूठ के विपरीत, सच्चाई यह है कि थर्ड पार्टी के ज़रिये डेटा को सिर्फ एनालिटिक्स के उद्देश्य से इस्तेमाल किया जा रहा है, जैसा गूगल एनालिटिक्स में किया जाता है... यूज़र डेटा पर एनालिटिक्स इसलिए किया जाता है, ताकि यूज़रों के लिए 'सबसे सटीक सामग्री' पेश की जा सके..."
BJP के आईटी ऑपरेशनों के प्रमुख अमित मालवीय ने भी राहुल गांधी तथा कांग्रेस पर हमला बोला तथा कांग्रेस द्वारा भी बिल्कुल ऐसा ही किए जाने के आरोप लगाए.
कांग्रेस ने हालांकि इन आरोपों से इंकार किया है.
विशेषज्ञों का कहना है कि राजनैतिक दलों के साथ शेयर किए गए डेटा का दुरुपयोग आसानी से किया जा सकता है. साइबरसिक्योरिटी विशेषज्ञ शीनिवास कोडाली का कहना है, "कैम्ब्रिज एनालिटिका जैसी निजी कंपनियों के साथ शेयर कर इसका (डेटा का) दुरुपयोग किया जा सकता है, जो नरेंद्र मोदी पर सक्रिय रहने वाले वॉलंटियरों का वोटर प्रोफाइल तैयार कर सकती हैं..."
BJP द्वारा दिया गया जवाब अनुमति लिए जाने के संवेदनशील मुद्दे पर संतोषजनक उत्तर नहीं देता. नरेंद्र मोदी ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी, जो narendramodi.in वेबसाइट पर उपलब्ध है, में रविवार तक लिखा था, "आपकी निजी जानकारी तथा संपर्क किए जाने से जुड़ी जानकारी गोपनीय रहेगी तथा उसका प्रयोग हमारे द्वारा आपसे संपर्क किए जाने के अलावा किसी भी उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा... इस जानकारी को आपकी अनुमति के बिना किसी भी थर्ड पार्टी को किसी भी रूप में उपलब्ध नहीं कराया जाएगा..."
इस आलोचना में उस समय खासी बढ़ोतरी हो गई, जब भारत के नेशनल कैडेट कोर (NCC) के 13 लाख कैडेटों से ऐप को इंस्टॉल करने तथा अपने फोन नंबर व ईमेल एड्रेस प्रधानमंत्री कार्यालय से शेयर करने के लिए कहा गया.
जब यह विवाद बढ़ गया, तो पॉलिसी में बदलाव किया गया और कहा गया, "निम्नलिखित जानकारी को थर्ड पार्टी से सेवाएं लेकर प्रोसेस किया जा सकता है, ताकि आपको बेहतर अनुभव उपलब्ध कराया जा सके - नाम, ईमेल, मोबाइल फोन नंबर, डिवाइस इन्फॉर्मेशन, लोकेशन तथा नेटवर्क कैरियर"
NDTV ने BJP के आईटी सेल तथा क्लैवरटैप, दोनों से संपर्क साधा और जवाब मांगा, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है. जवाब मिल जाने के बाद इस ख़बर को अपडेट किया जाएगा.
(इनपुट रॉयटर से भी)
देखें वीडियो- राहुल गांधी आरोप, नमो ऐप से डाटा अमेरिकी कंपनी को
सत्तासीन BJP ने आरोपों से इंकार करते हुए कहा है कि डेटा का इस्तेमाल सिर्फ विश्लेषण के लिए किया गया, ताकि सभी यूज़रों को 'सबसे सटीक सामग्री' उपलब्ध कराई जा सके. BJP ने कांग्रेस पर भी बरसते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी के ऐप ने भी बिना अनुमति लिए डेटा थर्ड पार्टी को दिया.
'नमो एप' : पीएम मोदी पर राहुल गांधी का तंज, 'मैं नरेंद्र मोदी आपका डेटा अमेरिकी कंपनियों को दे रहा हूं'
अतीत में भारत के राष्ट्रीय पहचान पत्र प्रोजेक्ट आधार की कमज़ोरियों को उजागर करने वाले तथा एलियट एल्डरसन (Elliot Alderson) के नाम से ट्वीट करने वाले सुरक्षा शोधकर्ता ने ही शनिवार को कई ट्वीट कर कहा कि नरेंद्र मोदी ऐप निजी यूज़र डेटा को थर्ड पार्टी के डोमेन पर भेज रही है, जो एक अमेरिकी कंपनी का है.
नरेंद्र मोदी ऐप द्वारा यूज़रों का निजी डेटा बिना अनुमति लिए थर्ड पार्टी के साथ शेयर किए जाने की ओर इशारा करने वाले एलियट एल्डरसन ने रविवार को एक नया ट्वीट किया, जिसमें कहा गया कि ऐप ने उनके पिछले ट्वीट के बाद 'चुपके-से' अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव कर दिया है.
अब एनीमेशन के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी यूं कर रहे योग का प्रचार
NDTV ने इस मामले में विशेषज्ञों से सलाह ली, जिनका कहना था कि कोई ऐप किसी वेबसाइट के साथ डेटा को शेयर कर रही है या नहीं, यह जांचने के लिए डेटा को फोन तथा इंटरनेट के बीच में इंटरसेप्ट करना होगा. इसके बाद NDTV ने इन दावों की जांच की, और इस संवाददाता ने Burp Suite नामक एक लोकप्रिय टूल के ज़रिये यह पता लगाया कि डेटा को कहां भेजा जा रहा है. पड़ताल से पता चला कि जिस समय यूज़र नाम, ईमेल एड्रेस, लिंग तथा शहर जैसी निजी जानकारी ऐप को दे रहा था, उस डेटा को वेबसाइट in.wzrkt.com के साथ शेयर किया जा रहा था.
(रजिस्ट्रेशन के दौरान इमेल एड्रेस "hello@world.com" एंटर किया गया और in.wzrkt.com पर भेजा गया.)
रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया के दौरान यूज़र को कभी यह जानकारी नहीं दी जाती, या उससे इस बात की अनुमति नहीं ली जाती कि डेटा को किसी थर्ड पार्टी को भेजा जा रहा है - यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे अधिकतर ऐप फॉलो करती हैं.
NDTV ने पता लगाया है कि in.wzrkt.com डोमेन अमेरिका के कैलिफोर्निया में रजिस्टर्ड कंपनी WizRocket Inc का है, और डेटा को मुंबई स्थित एक सर्वर पर भेजा जा रहा है. WizRocket एक डेटा एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म है, जिसे अमेरिकी कंपनी क्लैवरटैप (CleverTap) ने विकसित किया है.
(जिसके बाद नरेंद्र मोदी ऐप के जरिए wzrkt.com पर जानकारी को भेजा गया)
क्लैवरटैप की वेबसाइट कहती है कि मोबाइल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के रूप में 'हम यूज़र बिहेवियर, लोकेशन और लाइफसाइकिल स्टेज के आधार पर दिखने वाले ओमनीचैनल कैम्पेन बनाते और डिलीवर करते हैं...' कंपनी की स्थापना 2013 में तीन भारतीयों द्वारा की गई थी, और भारत के मुंबई, नई दिल्ली और बेंगलुरू के अलावा अमेरिका के कई शहरों में इनके कार्यालय हैं.
पहले एल्डरसन तथा फिर फैक्ट-चेकिंग व वेबसाइट AltNews द्वारा बताए गए लिंक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हमलावर ट्वीट किया, "नमस्ते, मेरा नाम नरेंद्र मोदी है... मैं भारत का प्रधानमंत्री हूं... जब आप मेरी आधिकारिक ऐप पर साइन अप करते हैं, मैं आपका सारा डेटा अमेरिकी कंपनियों में बैठे अपने मित्रों को दे देता हूं... पुनश्चः शुक्रिया मेनस्ट्रीम मीडिया, आप हमेशा की तरह इस अहम ख़बर को दफनाने का बढ़िया काम कर रहे हैं..."
सोशल मीडिया पर लगातार बढ़ती आलोचना के बाद BJP ने कबूल किया कि वह जानकारी को शेयर कर रही थी, लेकिन आमतौर पर ऐसा ही किया जाता है. BJP के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा गया, "राहुल के झूठ के विपरीत, सच्चाई यह है कि थर्ड पार्टी के ज़रिये डेटा को सिर्फ एनालिटिक्स के उद्देश्य से इस्तेमाल किया जा रहा है, जैसा गूगल एनालिटिक्स में किया जाता है... यूज़र डेटा पर एनालिटिक्स इसलिए किया जाता है, ताकि यूज़रों के लिए 'सबसे सटीक सामग्री' पेश की जा सके..."
BJP के आईटी ऑपरेशनों के प्रमुख अमित मालवीय ने भी राहुल गांधी तथा कांग्रेस पर हमला बोला तथा कांग्रेस द्वारा भी बिल्कुल ऐसा ही किए जाने के आरोप लगाए.
Full marks to @INCIndia for stating upfront that they'll give your data to **practically anyone** - undisclosed vendors, unknown volunteers, even 'groups with similar causes'. In theft of all forms, Congress has never been discreet! pic.twitter.com/FCSIv6nPMn
— Amit Malviya (@malviyamit) March 26, 2018
कांग्रेस ने हालांकि इन आरोपों से इंकार किया है.
We don’t collect any personal data through the INC app. We discontinued it a long time ago. It was being used only for social media updates.
— Divya Spandana/Ramya (@divyaspandana) March 26, 2018
We collect data for membership and this is through our website https://t.co/Mi3BWOK9Z0, this is encrypted. https://t.co/9r0EXWwU4Z
विशेषज्ञों का कहना है कि राजनैतिक दलों के साथ शेयर किए गए डेटा का दुरुपयोग आसानी से किया जा सकता है. साइबरसिक्योरिटी विशेषज्ञ शीनिवास कोडाली का कहना है, "कैम्ब्रिज एनालिटिका जैसी निजी कंपनियों के साथ शेयर कर इसका (डेटा का) दुरुपयोग किया जा सकता है, जो नरेंद्र मोदी पर सक्रिय रहने वाले वॉलंटियरों का वोटर प्रोफाइल तैयार कर सकती हैं..."
BJP द्वारा दिया गया जवाब अनुमति लिए जाने के संवेदनशील मुद्दे पर संतोषजनक उत्तर नहीं देता. नरेंद्र मोदी ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी, जो narendramodi.in वेबसाइट पर उपलब्ध है, में रविवार तक लिखा था, "आपकी निजी जानकारी तथा संपर्क किए जाने से जुड़ी जानकारी गोपनीय रहेगी तथा उसका प्रयोग हमारे द्वारा आपसे संपर्क किए जाने के अलावा किसी भी उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा... इस जानकारी को आपकी अनुमति के बिना किसी भी थर्ड पार्टी को किसी भी रूप में उपलब्ध नहीं कराया जाएगा..."
इस आलोचना में उस समय खासी बढ़ोतरी हो गई, जब भारत के नेशनल कैडेट कोर (NCC) के 13 लाख कैडेटों से ऐप को इंस्टॉल करने तथा अपने फोन नंबर व ईमेल एड्रेस प्रधानमंत्री कार्यालय से शेयर करने के लिए कहा गया.
जब यह विवाद बढ़ गया, तो पॉलिसी में बदलाव किया गया और कहा गया, "निम्नलिखित जानकारी को थर्ड पार्टी से सेवाएं लेकर प्रोसेस किया जा सकता है, ताकि आपको बेहतर अनुभव उपलब्ध कराया जा सके - नाम, ईमेल, मोबाइल फोन नंबर, डिवाइस इन्फॉर्मेशन, लोकेशन तथा नेटवर्क कैरियर"
NDTV ने BJP के आईटी सेल तथा क्लैवरटैप, दोनों से संपर्क साधा और जवाब मांगा, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है. जवाब मिल जाने के बाद इस ख़बर को अपडेट किया जाएगा.
(इनपुट रॉयटर से भी)
देखें वीडियो- राहुल गांधी आरोप, नमो ऐप से डाटा अमेरिकी कंपनी को
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