फेसबुक (Facebbok) भारत में एक बड़े विवाद में उलझती जा रही है. बुधवार को आईटी मामलों पर ससंदीय समिति (Parliamentary committee) की बैठक में फेसबुक इंडिया के अधिकारियों को लगभग हर पार्टी के सांसदों के कई सवालों के जवाब देने पड़े और फटकार झेलनी पड़ी. संसदीय समिति के सामने फेसबुक के अधिकारियों की पेशी हुई. उनसे कई सख्त सवाल पूछे गए. समिति उन्हें एक बार और समन करने वाली है.
बुधवार को आईटी मामलों की संसदीय समिति के सामने पेश हुए फेसबुक के अधिकारियों को कई तीखे सवाल और आरोप झेलने पड़े. विपक्ष से जुड़े सांसदों ने फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर के बीजेपी के साथ रिश्तों का सवाल उठाया. ये आरोप भी लगाया कि आंखी दास के कुछ महकमों और मंत्रालयों से कारोबारी रिश्ते हैं.
जबकि बीजेपी के एक सांसद ने फेसबुक के एमडी अजित मोहन पर कांग्रेस के साथ रिश्तों का आरोप लगा दिया. एमडी अजित मोहन ने सफाई दी कि उन्होंने बस केरल की एक कंपनी को सलाह दी थी जो उस वक्त कांग्रेस सरकार को कंसल्टेंसी दे रही थी.
एक विपक्षी सांसद ने उना में दलितों पर हमले के वक्त फेसबुक की भूमिका पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि तब भड़काने वाली सामग्री को फेसबुक ने नहीं हटाया.
दिलचस्प यह है कि इसके ठीक पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद फेसबुक के मुखिया मार्क ज़ुकरबर्ग को चिट्ठी लिख चुके हैं और उस पर दक्षिणपंथी विचार के खिलाफ़ होने का आरोप लगा चुके हैं. जबकि बुधवार को टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने भी ज़ुकरबर्ग को चिट्ठी लिखकर कहा कि बंगाल चुनाव से पहले ब्लॉक किए गए कुछ पोस्ट और खाते बीजेपी के साथ उसके रिश्तों के सबूत हैं.
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संसदीय समिति के सामने अपनी सफाई में फेसबुक ने कहा कि फेसबुक ने सामग्री साझा करने के लिए एक तटस्थ नीति बना रखी है. फेसबुक के पास तथ्यों की जांच का पूरा सिस्टम है. लेकिन फेसबुक के सामुदायिक पैमानों और भारत के आईटी कानूनों में अंतर्विरोध है.
संसदीय समिति ने तय किया है कि अभी इस मामले की समीक्षा जरूरी है और फेसबुक को फिर समन किया जाएगा.
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