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This Article is From Sep 14, 2015

मेनका गांधी ने कही मन की बात, 'सभी हिंसा के जनक पुरुष होते हैं'

मेनका गांधी ने कही मन की बात, 'सभी हिंसा के जनक पुरुष होते हैं'
मेनका गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की फेसबुक पर की गई एक टिप्पणी ट्विटर पर चर्चा का विषय बन गई और ट्रेंड करने लगी। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि लैंगिक संवेदीकरण में पुरुषों की भूमिका निर्णायक है, क्योंकि 'सभी तरह की हिंसा पुरुषों की पैदा की हुई है।'

फेसबुक पर महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की पहल '100वीमेन'
मेनका ने महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की फेसबुक पर शुरू की गई पहल '100वीमेन' पर लोगों के सवालों के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता जगाने में पुरुषों की भूमिका निर्णायक है क्योंकि 'सभी हिंसा पुरुषों की पैदा की हुई है। हमने स्कूलों में 'जेंडर चैंपियन' कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें उन लड़कों को इनाम दिया जाएगा जो लड़कियों की मदद करेंगे और उनके प्रति सम्मान दिखाएंगे।'

महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने फेसबुक पर '100वीमेन' की शुरुआत जुलाई में की थी। इसका मकसद देश की ऐसी 100 महिलाओं की तलाश है, जिन्होंने अपने काम से अपने समुदायों में प्रभाव छोड़ा है, बदलाव की अलख जगाई है।

मेनका से 'लाइव चैट' के दौरान बाल शिक्षा, महिलाओं के साथ अपराध और राजनैतिक मुद्दों पर सवाल पूछे गए। उन्होंने कुछ का ही जवाब दिया।

दो नेपाली महिलाओं से दुष्कर्म आंख खोलने वाली घटना
गुड़गांव में सऊदी अरब के राजनयिक द्वारा कथित रूप से दो नेपाली महिलाओं से दुष्कर्म के आरोप पर मेनका ने कहा कि यह आंख खोल देने वाली घटना है। केंद्र सरकार देखेगी कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने मुसीबत में फंसी महिलाओं की मदद के लिए सखी नाम से केंद्रों की स्थापना की है। मेनका ने कहा कि महिलाओं से जुड़े मामलों में भारतीय मीडिया अन्य देशों की तुलना में अधिक संवेदनशील है।

पशु अधिकारों के लिए लड़ने वाली मेनका ने शिक्षा व्यवस्था के बारे में कहा, 'मुझे लगता है कि शिक्षा को लैंगिक समानता पर और पशु अधिकारों पर अधिक संवेदनशील होना चाहिए।' '100वीमेन' के तहत महिलाओं को मंत्रालय के फेसबुक पेज पर नामित किया जाएगा। जिसके बारे में सबसे अधिक संस्तुतियां होंगी उनके नाम निर्णायक मंडल के सामने रखे जाएंगे जो सौ महिलाओं का चयन करेंगे।

महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के फेसबुक पेज पर 30 सितंबर तक नामांकन होगा। चुनी गई महिलाओं की मेजबानी राष्ट्रपति 22 जनवरी 2016 को करेंगे। 22 जनवरी 2015 को बेटी 'बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान की शुरुआत की गई थी।

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