विशेषज्ञों का दावा- रोजाना 15 से 20 सिगरेट पीने के बराबर है दिल्ली-NCR की हवा का असर

विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में खराब वायु प्रदूषण का सेहत पर असर एक दिन में 15-20 सिगरेट पीने के बराबर है.

विशेषज्ञों का दावा- रोजाना 15 से 20 सिगरेट पीने के बराबर है दिल्ली-NCR की हवा का असर

दिल्ली में वायु प्रदूषण

नई दिल्ली:

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति इतनी भयावह होती जा रही है कि प्रदूषण का सेहत पर प्रभाव 15 से 20 सिगरेट पीने के प्रभाव के बराबर है. विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में खराब वायु प्रदूषण का सेहत पर असर एक दिन में 15-20 सिगरेट पीने के बराबर है. वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों को प्रदर्शित करने के लिए, शनिवार को शहर के एक अस्पताल में मानव फेफड़ों के प्रतिरूप को रखा है.

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लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक न्यासी, सर गंगा राम अस्पताल में सेंटर फॉर चेस्ट सर्जरी के अध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार ने कहा, ‘मैंने बीते 30 साल में लोगों के फेफड़ों के रंग को बदलते हुए देखा है. पहले, सिगरेट पीने वालों के फेफड़ों पर काली रंग की परत होती थी जबकि अन्य के फेफड़ों का रंग गुलाबी होता था. उन्होंने कहा, ‘लेकिन आजकल, मुझे सिर्फ काले फेफड़े ही दिखाई देते हैं. यहां तक कि किशोरों के फेफड़ों तक पर काले निशान होते हैं. यह डरावना है. इस अनूठे प्रतिरूप से हमें उम्मीद है हम लोगों को यह दिखा सकते हैं कि उनके फेफड़ों में क्या हो रहा है.' उन्होंने कहा, ‘लोगों की सेहत पर खराब हवा के प्रभाव की तुलना एक दिन में 15-20 सिगरेट पीने से की जा सकती है.' 

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सर गंगा राम अस्पताल में प्रबंधक बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ एसपी बयोत्रा ने कहा कि दिल्ली का वायु प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। यह लोगों की सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है. हमें इस खतरे को तुरंत नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई करनी है. अन्यथा स्वास्थ्य के परिणाम विनाशकारी होंगे. हम पहले ही देख रहे हैं कि हमारे अस्पताल में खांसी, गले और नाक में परेशानी से ग्रस्त मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अस्पताल ने एक बयान में कहा कि जिनेवा में हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन का वायु प्रदूषण पर पहला सम्मेलन हुआ था. 

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यह प्रतिरूप डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहानोम गेबेरियस की ओर से जारी चेतावनी की ताकीद है. उन्होंने कहा था हमारी सेहत पर पड़ने वाला प्रभाव स्पष्ट है. दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों ही विफल रही हैं. भारत जिस घातक रास्ते पर बढ़ रहा है उसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है. (इनपुट भाषा से)

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