फाइल फोटो
नई दिल्ली:
शनि शिंगणापुर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने विवादित बयान दिया है। उनका कहना है कि इससे महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि शनि की दृष्टि अगर महिलाओं पर पड़ेगी तो रेप की घटनाएं और बढ़ेंगी। शंकराचार्य का यह बयान शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की छूट मिलने के दो दिन बाद आया है।
स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर खुशियां मनाने के बजाय महिलाओं को पुरुषों को नशीले पदार्थों के सेवन से रोकने के लिए कुछ करना चाहिए, जिसके कारण वे उनके खिलाफ बलात्कार तथा अन्य अपराध करते हैं। द्वारिका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद फिलहाल हरिद्वार के एक पखवाड़े के दौरे पर हैं।
दरअसल महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में सालों पुरानी परंपरा टूट गई है और यहां स्थित चबूतरे पर महिलाओं को भी पूजा करने की इजाजत मिली है। शुक्रवार को यहां करीब 100 पुरुषों ने जबरन पूजा की थी। वे एक-एक कर चबूतरे पर पहुंचे और उन्होंने शिला को नहलाया। पुरुषों का यह शिला पूजन महाराष्ट्र सरकार के आदेश के खिलाफ था। इस घटना के बाद मंदिर के ट्रस्ट ने फैसला लिया कि महिलाओं को भी इस चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत होगी। इससे पहले आदेश आया था कि यहां न महिलाएं पूजा करेंगी औरन ही पुरुष, केवल पुजारी ही यहां पूजा करेंगे।
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के मंदिरों में साईं बाबा की पूजा की परंपरा के कारण ही वहां सूखा पड़ गया है। उन्होंने कहा कि जो पूज्य देवता हैं उनका अपमान किया जा रहा है। साईं की बड़ी मूर्ति बनाकर हनुमान जी को उनके चरणों में रखा गया। इसी कारण महाराष्ट्र में इतने बुरे हालात हैं। (इनपुट भाषा से)
स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश को लेकर खुशियां मनाने के बजाय महिलाओं को पुरुषों को नशीले पदार्थों के सेवन से रोकने के लिए कुछ करना चाहिए, जिसके कारण वे उनके खिलाफ बलात्कार तथा अन्य अपराध करते हैं। द्वारिका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद फिलहाल हरिद्वार के एक पखवाड़े के दौरे पर हैं।
दरअसल महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में सालों पुरानी परंपरा टूट गई है और यहां स्थित चबूतरे पर महिलाओं को भी पूजा करने की इजाजत मिली है। शुक्रवार को यहां करीब 100 पुरुषों ने जबरन पूजा की थी। वे एक-एक कर चबूतरे पर पहुंचे और उन्होंने शिला को नहलाया। पुरुषों का यह शिला पूजन महाराष्ट्र सरकार के आदेश के खिलाफ था। इस घटना के बाद मंदिर के ट्रस्ट ने फैसला लिया कि महिलाओं को भी इस चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत होगी। इससे पहले आदेश आया था कि यहां न महिलाएं पूजा करेंगी औरन ही पुरुष, केवल पुजारी ही यहां पूजा करेंगे।
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के मंदिरों में साईं बाबा की पूजा की परंपरा के कारण ही वहां सूखा पड़ गया है। उन्होंने कहा कि जो पूज्य देवता हैं उनका अपमान किया जा रहा है। साईं की बड़ी मूर्ति बनाकर हनुमान जी को उनके चरणों में रखा गया। इसी कारण महाराष्ट्र में इतने बुरे हालात हैं। (इनपुट भाषा से)
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