
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने एक बार फिर अपने ही अंदाज़ में सभी को चौंकाते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया. 15 अगस्त की शाम सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट करते हुए उन्होंने अपने फैंस को अलविदा कहा. उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, "प्यार और समर्थन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मुझे रिटायर्ड मान लिया जाए.अब एमएस धोनी न वनडे की टीम इंडिया की जर्सी में नजर आएंगे और न ही टी20 खेलते दिखाई पड़ेंगे, लेकिन माही चेन्नई सुपर किंग्स (Chennai Super Kings) के लिए इंडियन प्रीमियर लीग (IPL 2020) में खेलना जारी रखेंगे. धोनी टेस्ट फॉर्मेट से काफी पहले ही सन्यास ले चुके हैं.

इतने मशहूर माही के अब भी कई पहलू हैं जिन्हें जानने को फैंस बेताब नज़र आते हैं. जब धोनी भारतीय टीम के लिए खेलने से पहले सीसीएल (CCL) के लिए खेले तो वो बारहवीं कक्षा में पढ़ रहे थे . 1998 से 2002 महेंद्र सिंह धोनी ने सीसीएल में आदिल हुसैन की कप्तानी में खेला.

महेन्द्र सिंह धोनी के सीसीएल के पूर्व कप्तान आदिल हुसैन एनडीटीवी से पुरानी यादों को ताज़ा करते हुए कहते हैं कि स्कूल टाइम से ही धोनी को अपने हुनर पर काफी भरोसा था, ऐसा लगता था की सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट ही उसकी लाइफ है और शायद यही वजह थी की उसने रेलवे की नौकरी से इस्तीफा दिया.

अपने क्रिकेट करियर में इतने सफल क्रिकेटर होने के बाद वो आज भी बहुत विनम्र हैं. वो आज भी अपने पुराने साथियों को याद रखते हैं, यही उनकी अपनी असल पहचान है.

आदिल हुसैन आगे कहते हैं, " वो आत्मविश्वास से लबालब थे और क्रिकेट को लेकर उनका बेइंतेहा फोकस काबीले तारीफ था , स्कूल के दिनों से वो अपनी टीम के लिए एक बहुत बड़े मैच विनर के तौर पर देखे जाते थे ! अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आने से पहले धोनी ने काफी संघर्ष किया ! और शायद ये एक वजह थी कि छोटी मोटी बातें उनको खेलते हुए कभी ज़हन में नहीं आती थी , इसलिए वो खुल कर अपने जौहर को दिखाकर दुनिया को अपना लोहा मानवा ही लेते थे ! "

अपनी पुरानी यादों को आगे साझा करते हुए आदिल हुसैन कहते हैं कि इतने सफल क्रिकेटर और इतने मशहूर स्टार के बावजूद आज तक वो अपने व्यवहार से किसी को दुःख नहीं पहुंचाया ! जब भी वो अपने दोस्तों और पुराने क्रिकेटर के साथ रहते थे तो कभी भी ये महसूस नहीं होने दिया की वो एक बहुत बड़ा स्टार हैं, आदिल कहते हैं कि धोनी जब भी उनके घर आते तो क्रकेट का तुल्फ उठाते थे , घर के अंदर ही बैट उठाते और शुरू होते , जब उनको भूख लगती तो मां से कहते की मां खाने का वक्त आ गया है , फिर सब बैठ कर साथ खाना खाते.
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