दिल्ली में त्योहारी सीजन के मद्देनजर सुरक्षा बढ़ा कर दी गई है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात हो गई है. वहीं मुंबई के आर्यन खान ड्रग केस के बाद दिल्ली में भी पुलिस ने ड्रग पैडलरों के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी है. इन सभी मुद्दों पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने एनडीटीवी से खास बातचीत की. पढ़ें उनसे पूछे गए सवाल और उनके जवाब-
सवाल: 11 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का कहना है कि दिल्ली का रास्ता उन्होंने नहीं रोका है, दिल्ली पुलिस ने रोका है. कोर्ट में भी वो यही बात कह रहे हैं, आपका इस पर क्या कहना है?
जवाब: दिल्ली का रास्ता हमने बन्द नहीं किया है. जब कानून व्यवस्था की समस्या हुई थी, तब बैरिकेडिंग की गई थी. ऐसे में ये जरूरी था. उसके बाद से बॉर्डर के दूसरी तरफ टैंट लगाकर रास्ते बंद हैं. किसान नेताओं के साथ पुलिस संपर्क में है. हरियाणा और यूपी के पुलिस अधिकारी भी संपर्क में हैं. हम लोग कोशिश में हैं कि ये समस्या सॉल्व हो और सड़क का आवागमन शुरू किया जाए. मुझे उम्मीद है कि बहुत जल्द ही ये बेरिकेडिंग भी हटेगी, किसान भी हटेंगे और सड़क पर आवागमन चालू होगा.
सवाल: त्यौहारों के मौसम में दिल्ली हमेशा आतंकियों के निशाने पर रहती है. अब दिवाली और अन्य त्योहारों के चलते पुलिस सुरक्षा को लेकर क्या कर रहे है?
जवाब: हम पूरी तरह से तैयार हैं. जो इनपुट्स आते हैं उसको ध्यान में रखकर और हालात को ध्यान में रखकर पिछले काफी दिनों से तैयारी कर रहे हैं. सड़कों और बाजारों में भीड़ है, पब्लिक प्लेस में भीड़ है, एन्टी टेररिस्ट मेजर अपनी जगह पर हैं. जो हमें मॉकड्रिलस करनी है वो भी हम कर रहे हैं. एन्टी सोशल एलिमेंट के खिलाफ मुहिम चलाई हुई है और काफी लोग अरेस्ट भी हुए हैं. ये चीज़ लगातार चलने वाली है. सड़क पर पुलिस दिखनी चाहिए. खासतौर से पीक आवर्स में, जिससे जनता में एक विश्वास रहे. वो हम लगातार कर रहे हैं. सीनियर अधिकारियों को भी कहा गया है कि वो फुट पेट्रोलिंग करें और मार्किट वेलफेयर एसोसियेशन, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को विश्वास में लेकर चलें. जिससे जनता को ये विश्वास हो कि पुलिस मौजूद है और वो त्योहार खुशी से मना सकें.
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सवाल: आपके आने के बाद दिल्ली पुलिस में कई बदलाव हो रहे हैं, आपने पूरे पीसीआर को थाने से मर्ज कर दिया, इसके पीछे क्या कारण हैं?
जवाब: पीसीआर और थाने को मर्ज करने से थाने में मैनपॉवर बढ़ी है, वाहन बढ़ें हैं. उनके थाने के इलाके में जो बीट्स हैं, उनकी संख्या बढ़ गयी है. बीट्स का एरिया छोटा हो गया है. पेट्रोलिंग इंटेसिव हो गयी है और जो क्राइम होता है वो इन पीसीआर की मदद से पुलिस स्टेशन ही हैंडल करता है ताकि पीड़ित को इस बात से संतुष्टि मिले कि पुलिस तुरंत मदद के लिए आती है. जो पीसीआर रिस्पॉन्स टाइम पहले 5-7 मिनट प्रति कॉल था वो अब 3 मिनट 7 सैकेंड आ गया है. तो ये भी बड़ी बात है कि अगर रिस्पॉन्स टाइम कम है तो पुलिस पर पब्लिक का विश्वास बढ़ता है.
सवाल: आपने दिल्ली के लगभग सभी थानों के एसएचओ बदल दिए हैं, कुछ लोग ऐसे हैं जो पहली बार बतौर एसएचओ तैनात हुए हैं, इसके पीछे क्या वजह है?
जवाब: जिन एसएचओ की बदली की गई है उनका टर्म पूरा हो गया था. इसकी वजह से बदली हुई है. जो नए अफसर लगाए गए हैं, उनकी काबिलियत, उनका अनुभव और पुलिस थाने की टोपोग्राफी और क्राइम पैटर्न को देखकर लगाया गया है. जो नए अधिकारी लगे हैं वो उतने ही काबिल हैं, उतने ही मोटिवेटेड हैं. उम्मीद है वो अच्छा काम करेंगे.
सवाल: दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध एक बड़ा मुद्दा रहा है. आपने कई महिला अफसरों को डीसीपी लगाया है. 9 थानों की एसएचओ भी महिलाएं बनी हैं. क्या ये कदम महिलाओं के खिलाफ अपराधों को काबू करने के लिए लिया गया है?
जवाब: महिलाओं, बच्चों या गरीब तबके के खिलाफ जो अपराध है, उनको बहुत ही संवेदनशीलता के साथ हम लोग पहले भी लेते आये हैं और अभी भी करेंगे. जो पोस्टिंग महिला अधिकारियों की हुई है वो निश्चित तौर पर उनकी काबिलियत को देखकर की गई है. ये भी है कि महिला अधिकारी है तो इस तरह स्थिति में पूरी लगन के साथ उसे हैंडल करेंगी. लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि जो दूसरे अधिकारी हैं वो इस तरह से हैंडल नहीं करते. मैं तो ये मानता हूं कि महिलाओं और पुरुषों में जहां तक नौकरी का सवाल है कोई अंतर नहीं है और जब महिला और पुरुष फोर्स की नौकरी जॉइन कर लेते हैं तो वो ऑफिसर होते हैं, मेल या फीमेल अफसर नहीं, इसीलिए उनको यहां लगाया गया है.
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सवाल: दिल्ली में कोर्ट के अंदर हाल ही में गैंगवार हुआ, इसके बाद अदालतों की सुरक्षा के लिए आप क्या कर रहे हैं?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के अलावा दिल्ली में 7 कोर्ट कॉम्प्लेक्स हैं. पहले ये सिस्टम था कि हर जिला पुलिस अपने जिले के कोर्ट में सुरक्षा देती थी. इस घटना के बाद से सभी चीज़े रिव्यू की गईं हैं और ये जो 7 कोर्ट हैं, इनको हमारे सिक्योरिटी डायरेक्टरेट के अंदर लाया गया है. जिस तरह से हम हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सिक्योरटी देते हैं उसी लेवल की सुरक्षा अब जिला अदालतों में भी दी जा रही है. पूरा सिस्टम बदल दिया गया है. कोर्ट की सुरक्षा में जो उपकरण लगे हैं, उनका ऑडिट करके जो बदला जाने लायक था उसको बदला गया है. नए उपकरण भी लगाए गए हैं. सीसीटीवी का कवरेज बढ़ाया गया है. कोर्ट कैम्पस के अंदर सीसीटीवी होना चाहिए, इसे लेकर ज्यूडिशियल अफसरों से बात की गई है. वो भी इसके लिए तैयार हैं. बार एसोसिएशन, जुडिसरी को साथ मे रख के उनके सुझाओं को ध्यान में रख के सुरक्षा को नए सिरे से किया गया है.
सवाल: आजकल युवाओं में ड्रग्स को लेकर काफी क्रेज़ है. मुंबई में जो चल रहा है उससे सभी वाकिफ हैं. ड्रग्स पर रोकथाम के लिए आप क्या कर रहे हैं?
जवाब: ड्रग्स किसी भी सोसाइटी के लिए बहुत हानिकारक चीज़ है. खासतौर से युवाओं के लिए. दिल्ली में ड्रग्स के काफी सीरियस मामले हैं. यहां कई हॉट स्पॉट हैं, काफी ड्रग पैडलर हैं, उनके सिंडिकेट और नेटवर्क हैं. इसमें मनी जेनरेशन काफी ज्यादा है तो नेटवर्क काफी फलता-फूलता है. इस चीज़ को ध्यान में रखते हुए सभी थानों में सभी सीनियर अधिकारियों को ये बहुत साफ निर्देश दिए गए हैं कि जो ड्रग पैडलिंग है, ड्रग ट्रैफिकिंग है उसके खिलाफ एक मुहिम चलाएं और फोकस होकर जो भी लोग इसमें संलिप्त हैं उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए.
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