विज्ञापन
This Article is From Oct 23, 2017

कश्‍मीर में फिर होगी बातचीत, पूर्व आईबी प्रमुख दिनेश्‍वर शर्मा होंगे केंद्र के वार्ताकार

खुफिया विभाग के पूर्व प्रमुख दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति भवन से इसकी अधिसूचना जारी होगी. उन्हें कैबिनेट सचिव का दर्जा दिया गया है.

कश्‍मीर में फिर होगी बातचीत, पूर्व आईबी प्रमुख दिनेश्‍वर शर्मा होंगे केंद्र के वार्ताकार
राजनाथ सिंह ने कहा, 'दिनेश्‍वर शर्मा को पूरी आजादी होगी'
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
दिनेश्‍वर शर्मा भारतीय पुलिस सेवा के 1979 बैच के अवकाश प्राप्त अधिकारी है
शर्मा दिसंबर 2014 से 2016 के बीच गुप्तचर ब्यूरो के निदेशक रहे
शर्मा यह निर्धारित करेंगे कि वह किससे बात करना चाहते हैं
नई दिल्‍ली: न गाली से, न गोली से, कश्मीर समस्या सुलझेगी गले लगाने से. पीएम नरेंद्र मोदी के लाल किले से इस ऐलान के बाद सरकार ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक समाधान की दिशा में बड़ी पहल की है. खुफिया विभाग के पूर्व प्रमुख दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति भवन से इसकी अधिसूचना जारी होगी. उन्हें कैबिनेट सचिव का दर्जा दिया गया है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका ऐलान किया है. उन्‍होंने कहा कि कश्मीर में हर किसी से बात की जाएगी और दिनेश्वर शर्मा को पूरी आज़ादी होगी. केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि दिनेश्वर शर्मा पर कोई भी प्रतिबंध नहीं होगा और बातचीत में कितना समय लगेगा यह अभी नहीं कहा जा सकता. राजनाथ सिंह ने कहा, 'न गाली, न गोली, गले लगने से होगा कश्मीर का समाधान.'

आइबी के पूर्व प्रमुख दिनेश्वर शर्मा को वैधानिक दायरे में हर किसी से बात करने की छूट मिली है. बंदूक के बाद बातचीत की इस पहल पर अब हर किसी की नज़र है. दिनेश्वर शर्मा ने क,हा "मैं सरकार की फ़ैसले की कद्र करता हूं और यक़ीन दिलाता हूं कि पूरी दृढ़ता से काम करूंगा." लगातार गोलियों के धमाकों से गूंज रहे जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार की ये नई पहल है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह अब गले लगाने की बात कर रहे हैं. केंद्रिय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "सबसे ज़्यादा अहमियत नौजवानों को दी जाएगी और जायज़ हद तक सबकी सुनी भी जाएगी."  वैसे इस फ़ैसले के साथ वहां राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई.

राजनाथ सिंह ने कहा कि गुप्तचर ब्यूरो के पूर्व निदेशक दिनेश्वर शर्मा केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होंगे जो जम्मू कश्मीर के सभी पक्षों से बातचीत की शुरूआत करेंगे. शर्मा भारतीय पुलिस सेवा के 1979 बैच के अवकाश प्राप्त अधिकारी हैं. शर्मा ने दिसंबर 2014 से 2016 के बीच गुप्तचर ब्यूरो के निदेशक के रूप में अपनी सेवाएं दीं.

यह पूछे जाने पर कि क्या वह हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ बातचीत करेंगे, गृह मंत्री ने कहा कि शर्मा यह निर्धारित करेंगे कि वह किससे बात करना चाहते हैं. सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण के मुताबिक यह कदम उठाया गया है.

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट कर कहा, "बातचीत की ये पहल पीएम मोदी के 15 अगस्त के भाषण की दिशा में है जिसमें उन्होंने कहा था, न गोली से न गाली से, कश्मीर की समस्या सुलझेगी लगे गलाने से."

उधर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे सरकार की हार करार दिया. उन्‍होंने कहा, "कश्मीर के मसले को राजनैतिक तौर पर स्वीकार करना उन लोगों की ज़बरदस्त हार है जो मानते हैं कि इस मसले का हल सिर्फ ताक़त के इस्तेमाल से हो सकता है."

VIDEO: कश्‍मीर के हालात पर चर्चा के लिए महबूबा मुफ्ती ने राजनाथ सिंह से मुलाकात की

वैसे बीते 16 साल में ये चौथा मौक़ा है जब कश्मीर के लिए वार्ताकार तय हुए हों. सबसे पहले 2001 में केसी पंत को वार्ताकार बनाया गया. फिर 2003 में एनएन वोहरा को वार्ताकार बनाया गया. 2010 में राधा कुमार, दिलीप पाडगांवकर और एमएम अंसारी वार्ताकार बने.

सवाल ये उठ रहा है कि सरकार की इस नीति में नया क्या है? जब एनडीटीवी ने गृह मंत्री से पूछा तो उन्होंने कहा कि 'पहले क्या हुआ वो तो पता नहीं लेकिन इस बार सरकार नीति के तहत काम करेगी. हमारी नियत में कोई खोट नहीं मिलेगी, हम सबसे बात करेंगे."

उधर कांग्रेस ने याद दिलाया कि अलगाववादियों से बात करने पर यही बीजेपी अलगाववादी कहती रही है. कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह का कहना है, "अब सरकार क्या कहेगी, क्या पहले जो नीति उसने अपनाई थी वो सही नहीं थी.''

इन सारे सवालों के बीच ये एक अहम पहल है. इस साल करीब पौने दो सौ आतंकी कश्मीर में मारे गए हैं. इस सुलगते हुए राज्य में संवाद की ये कोशिश हालांकि इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार की नीयत क्या है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com