अमित शाह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में अमित शाह को क्लीन चिट देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि मुंबई की सीबीआई कोर्ट के अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त करने के फैसले को रद्द किया जाए. हालांकि बांबे हाईकोर्ट भी इस याचिका को खारिज कर चुका है.
पूर्व IAS अफसर हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में ये भी कहा है कि कोर्ट सोहराबुद्दीन के भाई रबीबुद्दीन शेख की भी सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए कि आखिर उसने बांबे हाईकोर्ट से अपनी अर्जी वापस क्यों ली ? जबकि वो लगातार एनकाउंटर मामले में शुरुआत से ही अदालती लड़ाई लड़ते रहे हैं.
दरअसल 30 दिसंबर 2014 को मुंबई की सीबीआई कोर्ट ने अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त कर दिया था और कहा था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया गया था. वहीं पिछले साल नवंबर में बांबे हाईकोर्ट ने रबीबुद्दीन शेख की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया था जिसमें उसने कहा था कि वो स्वास्थ्य कारणों से केस नहीं लड़ सकता.
इसी पर हर्ष मंदर ने मांग की थी कि इसके पीछे कारण की जांच होनी चाहिए. हालांकि बांबे हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि ये सुनवाई योग्य नहीं है और याचिकाकर्ता इसमें पीडि़त पक्ष नहीं है.
पूर्व IAS अफसर हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में ये भी कहा है कि कोर्ट सोहराबुद्दीन के भाई रबीबुद्दीन शेख की भी सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए कि आखिर उसने बांबे हाईकोर्ट से अपनी अर्जी वापस क्यों ली ? जबकि वो लगातार एनकाउंटर मामले में शुरुआत से ही अदालती लड़ाई लड़ते रहे हैं.
दरअसल 30 दिसंबर 2014 को मुंबई की सीबीआई कोर्ट ने अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त कर दिया था और कहा था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया गया था. वहीं पिछले साल नवंबर में बांबे हाईकोर्ट ने रबीबुद्दीन शेख की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया था जिसमें उसने कहा था कि वो स्वास्थ्य कारणों से केस नहीं लड़ सकता.
इसी पर हर्ष मंदर ने मांग की थी कि इसके पीछे कारण की जांच होनी चाहिए. हालांकि बांबे हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि ये सुनवाई योग्य नहीं है और याचिकाकर्ता इसमें पीडि़त पक्ष नहीं है.
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