पूर्व CBI चीफ आलोक वर्मा का नाम SRCC इवेंट के वक्ताओं की लिस्ट से हटाया गया, बहाली के एक दिन बाद दिया गया था न्योता

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच एजेंसी के निदेशक के तौर पर उन्हें बहाल किए जाने के एक दिन बाद नौ जनवरी को उनको एक आमंत्रण भेजा गया था और कल होने वाले कार्यक्रम के दौरान भाषण देने का आग्रह किया गया था.

पूर्व CBI चीफ आलोक वर्मा का नाम SRCC इवेंट के वक्ताओं की लिस्ट से हटाया गया, बहाली के एक दिन बाद दिया गया था न्योता

सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आलोक वर्मा (फाइल फोटो).

खास बातें

  • SRCC के इवेंट में वक्ताओं से हटाया गया नाम
  • स्टूडेंट्स यूनियन बिजनेस कॉन्क्लेव का होगा आयोजन
  • कई बड़े नेता होते हैं शामिल
नई दिल्ली:

सीबीआई (CBI) के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा (Alok Verma) का नाम दिल्ली के प्रतिष्ठित श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (SRCC) स्टूडेंट्स यूनियन बिजनेस कॉन्क्लेव 2019 के वक्ताओं की सूची में से हटा दिया गया है. अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच एजेंसी के निदेशक के तौर पर उन्हें बहाल किए जाने के एक दिन बाद नौ जनवरी को उनको एक आमंत्रण भेजा गया था और कल होने वाले कार्यक्रम के दौरान भाषण देने का आग्रह किया गया था. 

अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, न्यायमूर्ति ए के सिकरी और लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने उन्हें सीबीआई निदेशक के पद से स्थानांतरित करने का फैसला किया था. हालांकि, खड़गे ने इस पर अपनी कड़ी असहमति दर्ज करायी थी. वर्मा से संपर्क नहीं हो सका लेकिन उनके सहयोगियों ने बताया कि उनका नाम वक्ता सूची में से हटा लेने के बारे में उन्हें खबर कर दी गई है. 

इस कॉन्क्लेव में कई बड़े नेता और हस्तियां छात्रों को संबोधित करती रही हैं. साल 2013 में पीएम मोदी ने इसमें शामिल हुए थे. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली इसी कॉलेज से पढ़े हुए हैं. 

एक अधिकारी ने पूछा गया कि आलोक वर्मा को आमंत्रण भेजने से पहले क्या कॉलेज प्रशासन से मंजूरी ली गई थी? तो उन्होंने जवाब दिया, हां. लेकिन विवाद होने और कुछ अन्य मुद्दे सामने आने के बाद आयोजन समिति ने उनका नाम हटाने का फैसला किया. जब एसआरसीसी की प्रिंसिपल सिमरत कौर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस आमंत्रण और इससे जुड़े किसी भी मामले की जानकारी नहीं है. 

बता दें, पीएम मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति द्वारा सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के एक दिन बाद आलोक वर्मा ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. वर्मा ने अपने त्याग-पत्र में कहा था कि यह ‘सामूहिक आत्ममंथन' का क्षण है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव को भेजे गए अपने इस्तीफे में वर्मा ने कहा था, ‘यह भी गौर किया जाए कि अधोहस्ताक्षरी (नीचे दस्तखत करने वाला) 31 जुलाई 2017 को ही सेवानिवृत हो चुका था और 31 जनवरी 2019 तक सीबीआई के निदेशक के तौर पर अपनी सेवा दे रहा था, क्योंकि यह तय कार्यकाल वाली भूमिका होती है. अधोहस्ताक्षरी अब सीबीआई निदेशक नहीं है और महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा के पद के लिहाज से पहले ही सेवानिवृति की उम्र पार कर चुका है. अत: अधोहस्ताक्षरी को आज से सेवानिवृत समझा जाए.'

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(इनपुट- भाषा)