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राष्ट्रीय गान के समय सिनेमाहॉल के पर्दे पर तिरंगा दिखाना भी अनिवार्य होगा
सिनेमाघर में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना होगा
किसी भी व्यावसायिक हित में राष्ट्रीय गान का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय गान राष्ट्रीय पहचान, राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक देशभक्ति से जुड़ा है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, ध्यान रखा जाए कि किसी भी व्यावसायिक हित में राष्ट्रीय गान का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इसके अलावा किसी भी तरह की गतिविधि में ड्रामा क्रिएट करने के लिए भी राष्ट्रीय गान का इस्तेमाल नहीं होगा, तथा राष्ट्रीय गान को वैरायटी सॉन्ग के तौर पर भी नहीं गाया जाएगा.
दरअसल, श्याम नारायण चौकसे की याचिका में कहा गया था कि किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के लिए राष्ट्रीय गान के चलन पर रोक लगाई जानी चाहिए, और एंटरटेनमेंट शो में ड्रामा क्रिएट करने के लिए राष्ट्रीय गान को इस्तेमाल न किया जाए. याचिका में यह भी कहा गया था कि एक बार शुरू होने पर राष्ट्रीय गान को अंत तक गाया जाना चाहिए, और बीच में बंद नहीं किया जाना चाहिए.
याचिका में कोर्ट से यह आदेश देने का आग्रह भी किया गया था कि राष्ट्रीय गान को ऐसे लोगों के बीच न गाया जाए, जो इसे नहीं समझते. इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय गान की धुन बदलकर किसी ओर तरीके से गाने की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिए.
याचिका में कहा गया है कि इस तरह के मामलों में राष्ट्रीय गान नियमों का उल्लंघन है और यह वर्ष 1971 के कानून के खिलाफ है. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अक्टूबर में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
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