वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने सामान्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए आरक्षण संबंधी विधेयक को कांग्रेस सहित अन्य दलों से 'बड़े दिल के साथ समर्थन' देने की अपील की. उन्होंने कहा कि भाजपा सहित सभी दलों ने अपने घोषणापत्र में इसके लिए वादा कर रखा है. उन्होंने दावा किया कि चूंकि यह आरक्षण संविधान संशोधन के माध्यम से दिया जा रहा है इसलिए यह न्यायिक समीक्षा में सही ठहराया जाएगा. लोकसभा में मंगलवार को संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए जेटली ने कहा कि भाजपा एवं राजग के अलावा कांग्रेस और अन्य दलों ने भी अपने घोषणापत्र में इस संबंध में वादा किया था कि अनारक्षित वर्ग के गरीबों को आरक्षण देंगे.
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उन्होंने सवाल किया कि क्या इन दलों के घोषणापत्र में इस बारे में कही गई बात भी 'जुमला' थी? उन्होंने कहा, 'गरीब की गरीबी हटाना भाजपा के लिए धोषणापत्र तक सीमित नहीं है. आज कांग्रेस एवं अन्य दलों की परीक्षा है. घोषणापत्र में जो लिखा है, उसपर बड़े मन और बड़े दिल के साथ समर्थन करें.' जेटली ने इस विधेयक को देश के 50 प्रतिशत राज्यों की विधानसभा की स्वीकृति मिलने के संबंध में कांग्रेस के संशय हो दूर करते हुए कहा कि संविधान में प्रदत्त मूलभूत अधिकारों के प्रावधान के संबंध में ऐसी जरूरत नहीं पड़ती. पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में भी राज्यों के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ी थी.
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उन्होंने कहा कि पहले भी ऐसे कुछ प्रयास हुए, लेकिन सही तरीके से नहीं होने के कारण कानूनी बाधाएं उत्पन्न हुई. जेटली ने इस संबंध में नरसिंह राव सरकार के शासनकाल में अधिसूचना जारी करने तथा इंदिरा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने इन विषयों को ध्यान में रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करके नया उपबंध जोड़ने की पहल की है. उन्होंने कहा कि इसके बाद आरक्षण को लेकर धारणा बनी कि 50 फीसदी की सीमा से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता. इस संबंध में संशय को दूर करने का प्रयास करते हुए जेटली ने कहा कि राज्यों ने अधिसूचना या सामान्य कानून से इस दिशा में कोशिश की. नरसिंह राव ने जो अधिसूचना निकाली, उसका प्रावधान अनुच्छेद 15 और 16 में नहीं था. यही वजह रही कि उच्चतम न्यायालय ने रोक लगाई.
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चर्चा में इससे पहले कांग्रेस के केवी थॉमस ने यह आशंका जताई थी कि कहीं यह विधेयक न्यायिक समीक्षा में गिर न जाए क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की सीमा तय की है. इस पर जेटली ने कहा कि चूंकि यह प्रावधान संविधान संशोधन में माध्यम से किया जा रहा है, इसलिए इसकी कोई आशंका नहीं रह जाएगी. उन्होंने संविधान की मूल प्रस्वावना का उल्लेख करते हुए कहा कि उसमें कहा गया है कि देश के प्रत्येक नागरिक को उसके विकास के लिए समान अवसर मिलेंगे. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाजि और ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं जा सकता. इसके पीछे यह धारणा थी कि अगर इसे बढ़ाया जाएगा तो दूसरे वर्गों के साथ भेदभाव होने लगेगा.
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(इनपुट: भाषा)
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