विज्ञापन
This Article is From Aug 24, 2017

राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार : सुप्रीम कोर्ट में पूरी सुनवाई का घटनाक्रम

सात जुलाई को मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष उठाया गया था.

राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार : सुप्रीम कोर्ट में पूरी सुनवाई का घटनाक्रम
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
एक बेहद अहम फैसले के तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार, यानी राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकारों, यानी फन्डामेंटल राइट्स का हिस्सा करार दिया है. नौ जजों की संविधान पीठ ने 1954 और 1962 में दिए गए फैसलों को पलटते हुए कहा कि राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकारों के अंतर्गत प्रदत्त जीवन के अधिकार का ही हिस्सा है. राइट टू प्राइवेसी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आती है. अब  लोगों की निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं होगी. हालांकि आधार को योजनाओं से जोड़ने पर सुनवाई आधार बेंच करेगी. इसमें 5 जज होंगे.

जानें इस केस में कब क्या हुआ
7 जुलाई 2017 - तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि आधार को लेकर उठ रहे मुद्दों पर अंतिम व्यवस्था बड़ी पीठ देगी और संविधान पीठ के गठन की जरूरत पर निर्णय भारत के प्रधान न्यायाधीश करेंगे.

7 जुलाई - मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष उठाया गया, सुनवायी के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन.

18 जुलाई - पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित करने के संबंध में फैसले के लिए नौ न्यायाधीशों की पीठ के गठन का फैसला लिया.

यह भी पढे़ं : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकारों का हिस्सा है

नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ (प्रधान न्यायाधीश जे. एस. खेहर, न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति ए. एम. सप्रे, न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर) निजता के मामले की सुनवायी करेंगे.

19 जुलाई - उच्चतम न्यायालय ने कहा कि निजता का अधिकार पूर्ण नहीं हो सकता, नियमन किया जा सकता है.

19 जुलाई - केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है.

26 जुलाई - कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, पंजाब और पुडुचेरी, गैर-भाजपा शासित चार राज्य निजता के अधिकार के पक्ष में न्यायालय पहुंचे.

यह भी पढ़ें : राइट टू प्राइवेसी मामला : ASG ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- ऑनलाइन के दौर में कुछ भी प्राइवेट नहीं रहा

26 जुलाई - केन्द्र ने न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार हो सकता है, लेकिन कुछ अपवादों/शर्तों के साथ.

27 जुलाई - महाराष्ट्र सरकार ने न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार कोई ‘इकलौती’ चीज नहीं है, यह व्यापक विचार है.

यह भी पढ़ें : संविधान पीठ का सरकार से सवाल- क्या आधार डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए कोई मजबूत मैकेनिज्म है?

1 अगस्त - न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक मंच पर व्यक्ति की निजी सूचनाओं की सुरक्षा के लिए ‘विस्तृत’ दिशा-निर्देश होने चाहिए.

2 अगस्त - न्यायालय ने कहा कि प्रौद्योगिकी के दौर में निजता की सुरक्षा का सिद्धांत एक ‘हारी हुई लड़ाई’ है, फैसला सुरक्षित रखा.

VIDEO : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, राइट टु प्राइवेसी मौलिक अधिकारों का हिस्सा है​

24 अगस्त - न्यायालय ने निजता के अधिकार को भारत के संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया .
(इनपुट भाषा से)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
जम्मू कश्मीर चुनाव को लेकर महिलाओं में कैसा उत्‍साह... जानें किस पार्टी के उम्‍मीदवार सबसे ज्‍यादा अमीर?
राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार : सुप्रीम कोर्ट में पूरी सुनवाई का घटनाक्रम
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Next Article
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com