कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) जमा पर 8.50 प्रतिशत का ब्याज देगा. केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने गुरुवार को यह जानकारी दी. इससे पहले 2018-19 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.65 प्रतिशत थी. चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दर में 0.15 प्रतिशत की कटौती की गई है. इससे भविष्य निधि योजना के छह करोड़ से ज्यादा अंशधारकों पर असर पड़ेगा. ईपीएफओ के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की आज हुई बैठक में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर ब्याज दर को घटाकर 8.50 प्रतिशत पर रखने का फैसला किया गया है. इससे पहले खबरें आई थीं कि श्रम मंत्रालय वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ब्याज दर को 8.65 प्रतिशत पर ही बरकरार रखने का इच्छुक है.
सीबीटी की मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा. वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद अंशधारकों के खातों पर नई दर से ब्याज दिया जाएगा.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के करीब छह करोड़ अंशधारक हैं. ईपीएफओ ने इससे पहले अपने अंशधारकों को 2016-17 में 8.65 प्रतिशत और 2017-18 में 8.55 प्रतिशत ब्याज दिया था. वित्त वर्ष 2015-16 में इस पर 8.8 प्रतिशत का ऊंचा ब्याज दिया गया था. इससे पहले 2013-14 और 2014-15 में ईपीएफ पर 8.75 प्रतिशत का ब्याज दिया गया. 2012-13 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.5 प्रतिशत रही थी.
किसी वित्त वर्ष में ईपीएफ पर ब्याज दर के लिए श्रम मंत्रालय को वित्त मंत्रालय की सहमति लेनी होती है. चूंकि भारत सरकार गारंटर होती है ऐसे में वित्त मंत्रालय को ईपीएफ पर ब्याज दर के प्रस्ताव की समीक्षा करनी होती है जिससे ईपीएफओ आमदनी में कमी की स्थिति में किसी तरह की देनदारी की स्थिति से बचा जा सके.