पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
प्रदूषण नियंत्रण और कोषों का उपयोग करने में 'लचर' प्रदर्शन के लिए पर्यावरण मंत्रालय की खिंचाई करते हुए एक संसदीय समिति ने कहा है कि भविष्य में लक्ष्य हासिल करने तथा कोषों का अधिकतम उपयोग करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं।
विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं वन संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने पर्यावरण मंत्रालय की अनुदान मांगों (2016-17) के अपने 283वें प्रतिवेदन में कहा है कि मंत्रालय परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों और नए ध्वनि निगरानी स्टेशनों के भौतिक लक्ष्यों को भी हासिल नहीं कर पाया।
कांग्रेस नेता अश्विनी कुमार हैं समिति के अध्यक्ष
राज्यसभा के सदस्य और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि चाहे वायु प्रदूषण हो या जल प्रदूषण हो या ध्वनि प्रदूषण हो, यह बीते कुछ वर्षों में अनुमेय सीमा से अधिक रहा है और लोगों के स्वास्थ्य पर इसके गंभीर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने पाया है कि प्रदूषण से निपटने के लिए सहायता संबंधी योजनाओं में मंत्रालय तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रदर्शन अपेक्षानुरूप नहीं रहा है।
इसमें कहा गया है कि मंत्रालय परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों और नए ध्वनि निगरानी स्टेशनों के भौतिक लक्ष्यों को भी हासिल नहीं कर सका और अन्य लक्ष्यों के बारे में भी कहा गया है कि उन्हें पूरा करने की प्रक्रिया जारी है।
आवंटित कोष का सिर्फ 35 फीसदी हुआ खर्च
रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय दिसंबर 2015 तक आवंटित कोष का मात्र 35 फीसदी ही उपयोग कर पाया जिससे जाहिर होता है कि योजना के तहत प्रदर्शन कमजोर रहा।
समिति ने सिफारिश की है कि मंत्रालय को प्रदूषण नियंत्रण के लिए सहायता संबंधी योजना के तहत अपने काम का गंभीर निरीक्षण करना चाहिए और ऐसे सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए, जिससे भविष्य में योजना के अंतर्गत आने वाले वाले लक्ष्यों की पूर्ति सुनिश्चित हो सके, साथ ही आवंटित कोषों का भी अधिकतम उपयोग हो सके।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं वन संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने पर्यावरण मंत्रालय की अनुदान मांगों (2016-17) के अपने 283वें प्रतिवेदन में कहा है कि मंत्रालय परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों और नए ध्वनि निगरानी स्टेशनों के भौतिक लक्ष्यों को भी हासिल नहीं कर पाया।
कांग्रेस नेता अश्विनी कुमार हैं समिति के अध्यक्ष
राज्यसभा के सदस्य और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि चाहे वायु प्रदूषण हो या जल प्रदूषण हो या ध्वनि प्रदूषण हो, यह बीते कुछ वर्षों में अनुमेय सीमा से अधिक रहा है और लोगों के स्वास्थ्य पर इसके गंभीर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने पाया है कि प्रदूषण से निपटने के लिए सहायता संबंधी योजनाओं में मंत्रालय तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का प्रदर्शन अपेक्षानुरूप नहीं रहा है।
इसमें कहा गया है कि मंत्रालय परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों और नए ध्वनि निगरानी स्टेशनों के भौतिक लक्ष्यों को भी हासिल नहीं कर सका और अन्य लक्ष्यों के बारे में भी कहा गया है कि उन्हें पूरा करने की प्रक्रिया जारी है।
आवंटित कोष का सिर्फ 35 फीसदी हुआ खर्च
रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय दिसंबर 2015 तक आवंटित कोष का मात्र 35 फीसदी ही उपयोग कर पाया जिससे जाहिर होता है कि योजना के तहत प्रदर्शन कमजोर रहा।
समिति ने सिफारिश की है कि मंत्रालय को प्रदूषण नियंत्रण के लिए सहायता संबंधी योजना के तहत अपने काम का गंभीर निरीक्षण करना चाहिए और ऐसे सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए, जिससे भविष्य में योजना के अंतर्गत आने वाले वाले लक्ष्यों की पूर्ति सुनिश्चित हो सके, साथ ही आवंटित कोषों का भी अधिकतम उपयोग हो सके।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
प्रदूषण नियंत्रण, लचर प्रदर्शन, पर्यावरण मंत्रालय, कांग्रेस, राज्यसभा, प्रकाश जावड़ेकर, Environment Ministry, Poor Performance, Pollution, Congress, RajyaSabha, Prakash Javadedar