मुंबई:
सुबह सुबह स्कूल जाते बच्चों की शक्ल पर भारी बस्ता उठाने का दर्द अलग ही नज़र आता है। अभी तक लगता था कि इन मासूम बच्चों की तकलीफ पर किसी की नज़र नहीं जा रही लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने अभिभावकों को ये सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि उनके बच्चे कम से कम वज़न उठाएं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा है कि राज्य का कोई भी बच्चा स्कूल जाते वक्त अपने शरीर के वज़न से 10 प्रतिशत ज्यादा के वज़न का बैग नहीं उठाएगा। कक्षा 1 में पढ़ने वाले पांच साल के बच्चों को क्लास में घुसते ही अपने बस्ते को तराजू पर रखना होता है ताकि टीचर चेक कर सकें कि बैग का वज़न 2.5 किलो से ज्यादा तो नहीं है। सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि 12 साल के आठवीं के बच्चे 4.2 किलो से ज्यादा वज़नी बैग नहीं उठाएंगे ताकि किसी लंबी बीमारी से बचा जा सके।
स्थानीय शिक्षा सचिव ने शासकीय आदेश में लिखा है कि नियम के अनुसार बच्चों का बैग उनके वज़न के दस प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन हमें पता चला है कि मोटी मोटी किताब-कॉपी, बेवजह की स्टेश्नरी और यहां तक की कॉसमैटिक्स की वजह से बस्ते का वज़न 20 से 30 प्रतिशत हो जाता है। ये खतरनाक है। इससे थकावट,तनाव के साथ साथ रीड़ की हड्डी और जोड़ों में दर्द की समस्या भी हो सकती है। इससे बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
गौरतलब है कि लगातार बढ़ते प्रतिस्पर्धा के माहौल में बच्चों पर अच्छी पढ़ाई करने का लगातार दबाव बना रहता है इसलिए अभिभावक अक्सर उनके बैग में शाम को लगने वाली ट्यूशन का सामान भी रख दिया जाता है। सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि होमवर्क और टाइमटेबल में कुछ बदलाव होने चाहिए ताकि बच्चों को हर दिन ढेर किताबें ना लानी पड़े। साथ ही अभिभावक भी बेवजह के सामान से बच्चों का बैग ना भरें। हालांकि इस आदेश में वज़न से जुड़े इन नियमों का उल्लघंन करने पर मिलने वाली सज़ा का कोई ज़िक्र नहीं किया गया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा है कि राज्य का कोई भी बच्चा स्कूल जाते वक्त अपने शरीर के वज़न से 10 प्रतिशत ज्यादा के वज़न का बैग नहीं उठाएगा। कक्षा 1 में पढ़ने वाले पांच साल के बच्चों को क्लास में घुसते ही अपने बस्ते को तराजू पर रखना होता है ताकि टीचर चेक कर सकें कि बैग का वज़न 2.5 किलो से ज्यादा तो नहीं है। सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि 12 साल के आठवीं के बच्चे 4.2 किलो से ज्यादा वज़नी बैग नहीं उठाएंगे ताकि किसी लंबी बीमारी से बचा जा सके।
स्थानीय शिक्षा सचिव ने शासकीय आदेश में लिखा है कि नियम के अनुसार बच्चों का बैग उनके वज़न के दस प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन हमें पता चला है कि मोटी मोटी किताब-कॉपी, बेवजह की स्टेश्नरी और यहां तक की कॉसमैटिक्स की वजह से बस्ते का वज़न 20 से 30 प्रतिशत हो जाता है। ये खतरनाक है। इससे थकावट,तनाव के साथ साथ रीड़ की हड्डी और जोड़ों में दर्द की समस्या भी हो सकती है। इससे बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
गौरतलब है कि लगातार बढ़ते प्रतिस्पर्धा के माहौल में बच्चों पर अच्छी पढ़ाई करने का लगातार दबाव बना रहता है इसलिए अभिभावक अक्सर उनके बैग में शाम को लगने वाली ट्यूशन का सामान भी रख दिया जाता है। सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि होमवर्क और टाइमटेबल में कुछ बदलाव होने चाहिए ताकि बच्चों को हर दिन ढेर किताबें ना लानी पड़े। साथ ही अभिभावक भी बेवजह के सामान से बच्चों का बैग ना भरें। हालांकि इस आदेश में वज़न से जुड़े इन नियमों का उल्लघंन करने पर मिलने वाली सज़ा का कोई ज़िक्र नहीं किया गया है।
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