नई दिल्ली:
राजस्थान के आमेर किले में पर्यटकों की हाथी सैर का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने राजस्थान सरकार, केंद्र सरकार और पशु कल्याण बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह ये देखे कि हाथियों पर सैर के मामले में पशुओं से क्रूरता की मनाही के कानून का पालन हो।
सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश गैर सरकारी संगठन वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू एंड रीहैबिलिटेशन सेंटर की अर्जी पर सुनवाई के बाद जारी किए। अर्जी में पशुओं से क्रूरता को आधार बनाते हुए आमेर के किले में पर्यटकों की हाथी सैर पर रोक लगाए जाने की मांग की है।
मंगलवार को मामले पर सुनवाई के दौरान एनजीओ की ओर से पेश वकील श्याम दीवान ने अर्जी के साथ लगाई गई पशु कल्याण बोर्ड की सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि आमेर के किले में जिन हाथियों पर पर्यटकों को सैर कराई जाती है, उनकी हालत खराब है। इन हाथियों को बांधकर रखा जाता है और उनकी उचित देखभाल नहीं होती। तेज गर्मी में वे पर्यटक को लेकर ऊपर किले में जाते है। लोहे की जंजीरों के कारण हाथियों को चोट लगी रहती है।
इन दलीलों पर कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार से पूछा कि इसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की भी भूमिका होगी। रंजीत कुमार ने कहा कि यह मामला राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हाथियों पर सैर (ज्वॉय राइड) से किसी कानून का उल्लंघन नहीं होता।
राजस्थान में हाथियों पर सैर की बहुत पुरानी परंपरा रही है। दूसरी ओर एलीफेंट ओनर एसोसिएशन की ओर से मामले में पार्टी बनाए जाने और उनका पक्ष भी सुने जाने का अनुरोध किया गया। पीठ ने एसोसिएशन को भी पार्टी बनाए जाने का अनुरोध स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने अर्जी पर नोटिस जारी करते हुए सरकार व अन्य पक्षकारों से 17 फरवरी तक जवाब मांगा है। 17 फरवरी को फिर सुनवाई होगी।
एनजीओ की अर्जी में पर्यटकों की हाथी सैर को जानवरों की प्रति क्रूरता बताते हुए रोक लगाने की मांग की गई है। इतना ही नहीं अर्जी में सरकार के एलीफेंट विलेज पर भी सवाल उठाया गया है। एनीमेल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की गत वर्ष की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि जयपुर में 130 हाथी पकड़ कर रखे गए हैं, जिनसे आमेर किले को देखने आने वाले पर्यटकों को सैर कराई जाती है। अर्जी में सरकार के एलीफेंट विलेज पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि यहां हाथियों को बहुत ही खराब स्थिति में रखा जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश गैर सरकारी संगठन वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू एंड रीहैबिलिटेशन सेंटर की अर्जी पर सुनवाई के बाद जारी किए। अर्जी में पशुओं से क्रूरता को आधार बनाते हुए आमेर के किले में पर्यटकों की हाथी सैर पर रोक लगाए जाने की मांग की है।
मंगलवार को मामले पर सुनवाई के दौरान एनजीओ की ओर से पेश वकील श्याम दीवान ने अर्जी के साथ लगाई गई पशु कल्याण बोर्ड की सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि आमेर के किले में जिन हाथियों पर पर्यटकों को सैर कराई जाती है, उनकी हालत खराब है। इन हाथियों को बांधकर रखा जाता है और उनकी उचित देखभाल नहीं होती। तेज गर्मी में वे पर्यटक को लेकर ऊपर किले में जाते है। लोहे की जंजीरों के कारण हाथियों को चोट लगी रहती है।
इन दलीलों पर कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार से पूछा कि इसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की भी भूमिका होगी। रंजीत कुमार ने कहा कि यह मामला राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हाथियों पर सैर (ज्वॉय राइड) से किसी कानून का उल्लंघन नहीं होता।
राजस्थान में हाथियों पर सैर की बहुत पुरानी परंपरा रही है। दूसरी ओर एलीफेंट ओनर एसोसिएशन की ओर से मामले में पार्टी बनाए जाने और उनका पक्ष भी सुने जाने का अनुरोध किया गया। पीठ ने एसोसिएशन को भी पार्टी बनाए जाने का अनुरोध स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने अर्जी पर नोटिस जारी करते हुए सरकार व अन्य पक्षकारों से 17 फरवरी तक जवाब मांगा है। 17 फरवरी को फिर सुनवाई होगी।
एनजीओ की अर्जी में पर्यटकों की हाथी सैर को जानवरों की प्रति क्रूरता बताते हुए रोक लगाने की मांग की गई है। इतना ही नहीं अर्जी में सरकार के एलीफेंट विलेज पर भी सवाल उठाया गया है। एनीमेल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की गत वर्ष की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि जयपुर में 130 हाथी पकड़ कर रखे गए हैं, जिनसे आमेर किले को देखने आने वाले पर्यटकों को सैर कराई जाती है। अर्जी में सरकार के एलीफेंट विलेज पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि यहां हाथियों को बहुत ही खराब स्थिति में रखा जाता है।
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