शुक्रवार को अखिलेश और मुलायम के वकीलों ने चुनाव आयोग में अपना अपना पक्ष रखा था (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल अखिलेश और मुलायम खेमों के बीच किसे मिलेगा, इस रहस्य से सोमवार देर शाम पर्दा उठ सकता है.
साइकिल चुनाव चिन्ह पर फैसले के लिए सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने उच्च स्तरीय बैठक की. शुक्रवार को अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने चुनाव आयोग में अपना अपना पक्ष रखा था. अब बताया जा रहा है कि आयोग सोमवार शाम तक अंतरिम फैसला सुना देगा.
आयोग के सामने तीन विकल्प हैं. आयोग साइकिल चुनाव चिन्ह को फिलहाल ज़ब्त कर दोनों ही पक्षों से नया चुनाव निशान लेने को कह सकता है. इसकी संभावना इस वजह से है, क्योंकि चुनाव आयोग किसी भी विवाद से बचने के लिए दोनों ही पक्षों की ओर से जमा दस्तावेजों की जांच के लिए और समय ले सकता है.
(पढ़ें : मुलायम ने दिए संकेत, सपा में दोफाड़ होकर रहेगा)
अखिलेश यादव के वकील कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के आगे दलील दी कि पार्टी के संगठन के साथ सांसद, विधायक और एमएलसी अखिलेश के साथ हैं. इसलिए नियमों के अनुसार असली समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही कही जाएगी.
(पढ़ें : 'साइकिल' के लिए लड़ रहे हैं मर्सिडीज़, लम्बोरगिनी में घूमने वाले यादव)
उधर, मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने अखिलेश यादव की ओर से पेश किए गए सांसदों और विधायकों के समर्थन के दस्तावेजों पर ही सवाल उठाए. साथ ही रामगोपाल यादव की ओर से बुलाए गए उस सम्मलेन पर भी सवालिया निशान उठाया गया, जिसमें अखिलेश को पार्टी सुप्रीमो चुना गया. इस लिहाज से सवाल ये भी है कि क्या आयोग अखिलेश या मुलायम में से किसी एक के पक्ष में फैसला सुनायेगा?
साइकिल चुनाव चिन्ह पर फैसले के लिए सोमवार को मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने उच्च स्तरीय बैठक की. शुक्रवार को अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने चुनाव आयोग में अपना अपना पक्ष रखा था. अब बताया जा रहा है कि आयोग सोमवार शाम तक अंतरिम फैसला सुना देगा.
आयोग के सामने तीन विकल्प हैं. आयोग साइकिल चुनाव चिन्ह को फिलहाल ज़ब्त कर दोनों ही पक्षों से नया चुनाव निशान लेने को कह सकता है. इसकी संभावना इस वजह से है, क्योंकि चुनाव आयोग किसी भी विवाद से बचने के लिए दोनों ही पक्षों की ओर से जमा दस्तावेजों की जांच के लिए और समय ले सकता है.
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अखिलेश यादव के वकील कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के आगे दलील दी कि पार्टी के संगठन के साथ सांसद, विधायक और एमएलसी अखिलेश के साथ हैं. इसलिए नियमों के अनुसार असली समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही कही जाएगी.
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उधर, मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने अखिलेश यादव की ओर से पेश किए गए सांसदों और विधायकों के समर्थन के दस्तावेजों पर ही सवाल उठाए. साथ ही रामगोपाल यादव की ओर से बुलाए गए उस सम्मलेन पर भी सवालिया निशान उठाया गया, जिसमें अखिलेश को पार्टी सुप्रीमो चुना गया. इस लिहाज से सवाल ये भी है कि क्या आयोग अखिलेश या मुलायम में से किसी एक के पक्ष में फैसला सुनायेगा?
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