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This Article is From Jan 14, 2015

माघी मेला में दिखा कैप्टन इफ़ेक्ट, बाजवा की रैली में सिर्फ 4 विधायक पहुंचे

माघी मेला में दिखा कैप्टन इफ़ेक्ट, बाजवा की रैली में सिर्फ 4 विधायक पहुंचे
चंडीगढ़:

मुक्तसर के ऐतिहासिक माघी मेले में अकाली-बीजेपी नेता एक मंच पर दिखे, वहीं कांग्रेस की कलह साफ़ नज़र आई। प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा की रैली में पार्टी के 44 में से सिर्फ चार विधायक ही पहुंचे और रैली सिर्फ कैप्टन अमरिंदर सिंह विरोधी गुट का सम्मलेन बनकर रह गई। बाजवा के साथ कैप्टन विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल और जालंधर से पूर्व सांसद मोहिन्दर सिंह केपी के अलावा युवा कांग्रेस के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष और गिद्दड़बाहा से विधायक अमरिंदर सिंह वड़िंग ही नज़र आये।

रैली पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की लंच पार्टी का असर साफ़ नज़र आया। रविवार को पटियाला में कैप्टन की मीटिंग में 35 विधायक पहुंचे थे और बाजवा को हटाने की उनकी मांग पर सुर में सुर मिलाया था, इनमें विधानसभा में पार्टी के नेता सुनील जाखड़ शामिल थे। एनडीटीवी से बातचीत में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया था, जो आज सही साबित हुआ।

प्रदेश के लगभग सभी जिला इकाई के प्रमुखों की मौजूदगी से रैली में भीड़ अच्छी जुटी। नाराज़ बाजवा समर्थकों ने सभा स्थल पर लगे कैप्टन अमरिंदर बधाई सन्देश वाले होर्डिंग भी हटवा दिए। रैली को बाजवा कैंप का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। हालांकि दिल्ली दरबार में प्रभावशाली अम्बिका सोनी और सह प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी को न्योता भेजा गया था, लेकिन उनकी गैर-मौजूदगी ये इशारा ज़रूर कर गई कि हाई कमांड जल्द ही कैप्टन कि ज़िद पर कोई फैसला कर सकता है।

मौके कि नज़ाकत भांपते हुए प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने अपने भाषण में विरोधी गुट के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा और प्रदेश कि अकाली-बीजेपी सरकार उनके निशाने पर रही। मंच से बाजवा ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को ललकारा और नशे के कारोबार पर पंजाब सरकार के ढुल-मुल रवैये के लिए उनकी पार्टी को बराबर का दोषी बताया। बाजवा ने ऐलान किया कि अमित शाह जब भी पंजाब आएंगे तो कांग्रेस के कार्यकर्ता उनका घेराव करेंगे।

वहीं, बढ़ती दूरियों को लेकर चर्चा में बीजेपी और अकाली दाल के मंच पर नेता एक साथ नज़र आये। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बदल, उप-मुख्यमंत्री सुखबीर बदल के साथ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष कमल शर्मा को देखकर गठबंधन के अभी कुछ वक़्त और चलने कि उम्मीद ज़रूर बंधी। मुख्यमंत्री बादल ने भी मौके पर चौक लगाते हुए कांग्रेस पर अकाली-बीजेपी गठबंधन में टूट और प्रदेश में सरकार बनाने के सपने देखने का ताना कास दिया।

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