यह ख़बर 25 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

शिक्षा व्यवस्था रोबोट पैदा करने के लिए न हो, व्यक्तित्व विकास करे : बीएचयू में पीएम नरेंद्र मोदी

वाराणसी:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, 21वीं सदी ज्ञान की सदी है और भारत को इसमें महती भूमिका निभानी होगी।

उन्होंने कहा, चाहे विज्ञान हो या तकनीक, एक युवा का मस्तिष्क बेहद महत्वपूर्ण होता है। प्रधानमंत्री के अनुसार, हमारी शिक्षा व्यवस्था रोबोट पैदा करने के लिए नहीं, ज्ञान देने के लिए होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, शिक्षा की संस्कृति सबसे महत्वपूर्ण होती है, और हमें स्वीकार करना चाहिए कि हमारे व्यक्तित्व में हमारे माता-पिता के बाद सबसे बड़ा योगदान हमारे शिक्षक का होता है, और पीढ़ियां शिक्षक ही तैयार करते हैं। उन्होंने कहा, अच्छी शिक्षा हमेशा अच्छे शिक्षकों से ही जुड़ी होती है, और उनके बिना ऐसा मुमकिन नहीं होता। सब कुछ ट्रेनिंग से हो सकता है, और एक अच्छे शिक्षक को सभी परम्पराओं का ज्ञान होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने पहले कई बार कही हुई बात को गुरुवार को फिर दोहराते हुए कहा कि यदि हम अच्छे शिक्षक बनाने की दिशा में ध्यान दें तो हम शिक्षक एक्सपोर्ट भी कर सकते हैं, जिससे दुनियाभर में हमारी संस्कृति पहुंचेगी।

प्रधानमंत्री ने शिक्षक के रूप में करियर अपनाने को इच्छुक लोगों के लिए स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद पांच-वर्षीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पेश किए जाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि देश को दुनिया भर में उच्चकोटि के शिक्षकों के निर्यात का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।

अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर आए मोदी ने कहा कि शिक्षकों को तैयार करने का माहौल बनाए जाने की जरूरत है, जो भारत की परंपरा और संस्कृति में निहित हैं और इन्हें लाखों की संख्या में निर्यात किया जा सकता है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर इनकी काफी मांग है।

मोदी ने इस अवसर पर 900 करोड़ रुपये की 'पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं शिक्षण मिशन' योजना का भी शुभारंभ किया, जिसका नामांकरण बीएचयू के संस्थापक के नाम पर रखा गया है। मोदी सरकार ने पंडित मालवीय को (मरणोपरांत) भारत रत्न देने का बुधवार को निर्णय किया है।

(इनपुट भाषा से भी)


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