
दुर्गाशक्ति नागपाल का फाइल फोटो
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर क्षेत्र में गैरकानूनी रेत खनन माफिया के खिलाफ अभियान चलाने वाली निलंबित आईएएस अधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल की बहाली के लिए दायर जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले वकील मनोहर लाल शर्मा की स्थिति पर सवाल करते हुए कहा कि यदि नागपाल खुद याचिका दायर करेंगी तो न्यायालय इसपर विचार कर सकता है।
न्यायाधीशों ने कहा कि यह अधिकारी खुद अपना मामला देख सकती हैं और इस निलंबन आदेश के खिलाफ वह खुद अदालत सहित सभी प्राधिकारियों से गुहार लगा सकती हैं।
न्यायाधीशों ने मनोहर लाल शर्मा की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘जिस क्षण वह न्यायालय आएंगी, हम उनकी याचिका पर सुनवाई करेंगे और हम अंतरिम आदेश भी दे सकते हैं।’ मनोहर लाल शर्मा ने एक मस्जिद की दीवार कथित रूप से गिराने की घटना को लेकर निलंबित दुर्गाशक्ति नागपाल के खिलाफ सारी कार्यवाही निरस्त करने का अनुरोध किया था।
याचिका में कहा गया था कि वह सार्वजनिक भूमि पर धार्मिक इमारतों का अनधिकृत निर्माण रोकने के शीर्ष अदालत के आदेश का खामियाजा भुगत रही हैं। याचिका में कहा गया था कि दुर्गाशक्ति नागपाल के खिलाफ की गई कार्रवाई मनमानी, दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक है।
गौतमुबद्ध नगर में सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात 28 वर्षीय दुर्गाशक्ति नागपाल को समुचित प्रक्रिया का पालन किए बगैर ही नोएडा के एक गांव में निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिराने का आदेश देने के आरोप में 27 जुलाई को निलंबित किया गया था।
याचिका में इस अधिकारी के निलंबन के आदेश की न्यायिक समीक्षा करने का अनुरोध किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने चार अगस्त को इस अधिकारी को आरोप पत्र देते हुए कहा कि उससे उसके आचरण पर स्पष्टीकरण मांगा गया था।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले वकील मनोहर लाल शर्मा की स्थिति पर सवाल करते हुए कहा कि यदि नागपाल खुद याचिका दायर करेंगी तो न्यायालय इसपर विचार कर सकता है।
न्यायाधीशों ने कहा कि यह अधिकारी खुद अपना मामला देख सकती हैं और इस निलंबन आदेश के खिलाफ वह खुद अदालत सहित सभी प्राधिकारियों से गुहार लगा सकती हैं।
न्यायाधीशों ने मनोहर लाल शर्मा की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘जिस क्षण वह न्यायालय आएंगी, हम उनकी याचिका पर सुनवाई करेंगे और हम अंतरिम आदेश भी दे सकते हैं।’ मनोहर लाल शर्मा ने एक मस्जिद की दीवार कथित रूप से गिराने की घटना को लेकर निलंबित दुर्गाशक्ति नागपाल के खिलाफ सारी कार्यवाही निरस्त करने का अनुरोध किया था।
याचिका में कहा गया था कि वह सार्वजनिक भूमि पर धार्मिक इमारतों का अनधिकृत निर्माण रोकने के शीर्ष अदालत के आदेश का खामियाजा भुगत रही हैं। याचिका में कहा गया था कि दुर्गाशक्ति नागपाल के खिलाफ की गई कार्रवाई मनमानी, दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक है।
गौतमुबद्ध नगर में सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात 28 वर्षीय दुर्गाशक्ति नागपाल को समुचित प्रक्रिया का पालन किए बगैर ही नोएडा के एक गांव में निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिराने का आदेश देने के आरोप में 27 जुलाई को निलंबित किया गया था।
याचिका में इस अधिकारी के निलंबन के आदेश की न्यायिक समीक्षा करने का अनुरोध किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने चार अगस्त को इस अधिकारी को आरोप पत्र देते हुए कहा कि उससे उसके आचरण पर स्पष्टीकरण मांगा गया था।
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