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This Article is From Sep 04, 2019

इस बार पर्यावरण को लेकर जागरुक करेंगे कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल, बोतलों और इलेक्ट्रॉनिक कचर से होगी सजावट

पश्चिम बंगाल में की दुर्गा पूजा पंडाल अपने खास थीम के लिए चर्चा में रहते हैं. इस बार कोलकाता में पूजा समितिय‍ों ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिये अनोखा तरीका अपनाया है.

इस बार पर्यावरण को लेकर जागरुक करेंगे कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल, बोतलों और इलेक्ट्रॉनिक कचर से होगी सजावट
कलाकार सनातन डिंडा ने इस थीम को पेश किया है.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
पर्यावरण के खतरे को देखते हुए उठाया कदम
जलसंकट को भी दिखाएगी एक समिति
समितियों ने माना इस कदम से आएगा बदलाव
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में की दुर्गा पूजा  (Durga Puja) पंडाल अपने खास थीम के लिए चर्चा में रहते हैं. इस बार कोलकाता में पूजा समितिय‍ों ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिये अनोखा तरीका अपनाया है. इसके तहत शहर के पश्चिमी किनारे पर स्थित खादरपुर 25 पल्ली में पंडालों को सजाने के लिये लगभग पांच लाख बोतलों का इस्तेमाल कर ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरुकता पैदा की जा रही है. इस थीम को पेश करने वाले कलाकार सनातन डिंडा ने कहा, "प्लास्टिक की बोलतों के अलावा एयर कंडीशनरों के हिस्सों, पंखों की कॉइल और रेडियेटरों का इस्तेमाल पंडाल तक जाने वाला रास्ता बनाने के लिये किया गया है.''

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डिंडा का कहते हैं कि हमारा मकसद घर-घर यह संदेश पहुंचाना है कि हर किसी को इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निपटारे को लेकर सचेत रहना चाहिये. वहीं शहर के लोकप्रिय पूजा पंडालों में से एक ''अहिरितोला सर्बोजोनिन दुर्गोत्सब'' के लिये समिति के सदस्यों ने ''जलसंकट'' को थीम बनाने का फैसला किया है. पूजा समिति के एक सदस्य तन्मय ने कहा, "हम गुजरात के 1000 साल पुराने कुएं को फिर से बना रहे हैं. एक समय यह कई गांवों के लिए जल स्रोत हुआ करता था." उन्होंने कहा, "इसी तरह, संतोषपुर झील पल्ली में बर्फ से ढकी लगभग 10 फुट ऊंची पहाड़ी भी पंडाल के प्रवेश द्वार को सुशोभित करेगी."

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पूजा समिति के महासचिव सोमनाथ दास ने कहा कि लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे को लेकर जागरुक करना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा, "हम इस प्रतिकृति पहाड़ी के बर्फ को पिघलने से बचाने के लिये विशेष संरक्षण तकनीक का इस्तेमाल करेंगे. मुझे आशा है कि हमारे प्रयास रंग लाएंगे और आने वालों को बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग के खतरों के बारे में कुछ सीखने को मिलेगा. इससे पहले कि बहुत देर हो जाए कदम उठाना बेहद जरूरी है." (इनपुट-भाषा)

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