कोविड काल में बढ़ी नशे की लत : डॉक्टर्स बोले- ‘12 साल के बच्चे भी इस लत में दिख रहे हैं’

नशामुक्त केंद्रों में अलग-अलग थेरेपी और गतिविधियों से नशे के आदियों को फिर से सामान्य ज़िंदगी पर लाने की कोशिश हो रही है.

कोविड काल में बढ़ी नशे की लत : डॉक्टर्स बोले- ‘12 साल के बच्चे भी इस लत में दिख रहे हैं’

प्रतीकात्मक तस्वीर.

मुंबई:

कोविड काल में बढ़ी नशे की लत चिंता का विषय है, मुंबई में कई अस्पताल और मनोचिकित्सक बता रहे हैं की कम उम्र के बच्चों में हार्ड ड्रग्स की लत दिख रही है. कोविड के बीच तनाव और तनाव के बीच नशे की लत बीते कुछ महीनों में बढ़ी है. नशामुक्त केंद्रों में अलग-अलग थेरेपी और गतिविधियों से नशे के आदियों को फिर से सामान्य ज़िंदगी पर लाने की कोशिश हो रही है तो बीएमसी के सायन हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ सागर कारिया बताते हैं कि कम उम्र के बच्चों में दिख रही ड्रग्स की लत, चिंता का विषय है.

सायन हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ सागर कारिया का कहन है, 'आज कल एलएसडी, कैनबिस, वाइटनर, MDMA उसके मरीज ज़्यादा दिख रहे हैं. हर आयु वर्ग में ये लत दिख रही है लेकिन कम उम्र के मरीजों की संख्या बढ़ी है आजकल 12 साल के बच्चे भी ऐसा नशा करके हमारे पास आ रहे हैं.'

फ़ोर्टिस और नानावटी हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक भी मान रहे हैं कि घातक हार्ड ड्रग्स की लत कम उम्र के लोगों में बढ़ी है. फोर्टिस हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ केदार तिलवे का कहना है, 'दुर्भाग्यवश हार्ड ड्रग्स की लत हमें बहुत ज़्यादा दिख रही है सबसे डरावनी बात ये है की कम उम्र के लोग ये कर रहे हैं. 17 से लेकर 25 साल की आयु वर्ग में हम देख रहे हैं, और ये बता दें की इन हार्ड ड्रग्स का सेवन छोटी से छोटी मात्रा में भी हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए घातक है.'

नानावटी हॉस्पिटल के कन्सल्टंट क्लिनिकल सायकॉलिजस्ट डॉ नेहा पटेल का कहना है, 'इतने स्ट्रिक्ट लॉकडाउन में  भी ये सोर्स कर लेते थे कहीं ना कहीं से ऐसे नशे की चीज़ इनको कहीं ना कहीं से मिल जाती थी. ये टीनएज़र्स में इसलिए दिख रहा है क्योंकि ये नशे की चीज आराम से मिल जा रही है, पीयर प्रेशर, और लॉकडाउन में ऐसा हो गया की अकेलापन ज़्यादा हो गया. तो टाइम कैसे पास होगा तो ये सब इस्तेमाल करके उनको अच्छा महसूस होता था.'

सायन अस्पताल के मनोचिकित्सक बताते हैं कि आजकल OTT फ्लेटफॉर्म पर दिखने वाले कुछ सीरीज भी बच्चों को नशे के लिए प्रेरित करते हैं. सायन हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ सागर कारिया, 'NDPS के तहत नहीं मिलना चाहिए लेकिन आसानी से मार्केट में मिल जाता है, दूसरा है OTT प्लेटफॉर्म जहां बच्चों को अभिनेता-अभिनेत्री नशा करते दिखते हैं, वहाँ से ये प्रेरित होते हैं,  इनको रोल मॉडल मानते हैं,उसके बाद सबसे अहम है पीयर प्रेशर, ग्रुप में कोई एक करता है तो प्रेशर बनाता है तुम भी करो नहीं तो ग्रुप का हिस्सा नहीं रहोगे ऐसे प्रेशर भी बच्चों पर होते हैं और वो नशा करते हैं.'

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नशे से फेफड़ों की रोग प्रतिकार शक्ति यानी इम्यूनिटी और ख़राब हो जाती है इसलिए कोविडकाल में नशा और ज़्यादा घातक है.