बेंगलुरु में हुए बम धमाके के बाद नए साल का जश्न शांतिपूर्वक हो इसके लिए पोलिसिंग ने परम्परागत और आधुनिक दोनों तरीको का इस्तेमाल किया।
निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल इसी का हिस्सा था। तकरीबन आधे दर्जन छोटे आकार के ड्रोन इस्तेमाल किए गए। इनमें से एक ड्रोन उड़ान भरते वक़्त रात तक़रीबन 10 बजे बिजली के तार से टकरा कर ब्रिगेड रोड पर गिर गया, हालांकि इससे किसी को चोट नहीं पहुंची।
ड्रोन्स के इलावा तीन अत्याधुनिक मोबाइल कैमरा surveillance वैन भी पुलिस को तकनीकी मदद कर रही थी।
सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी संदीप पाटिल ने बताया की अब पोलिसिंग के मायने बदल गए हैं। ऐसे में शक्तिशाली ड्रोन्स की जरूरत है, जो हाई रेसोल्यूशन कैमरे से लैस हो और रात और दिन दोनों समय जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया जा सके।
2013 में बेंगलुरु में हुए ऐरो शो के दौरान सीआरपीएफ ने ड्रोन खरीदे थे, जिनका प्रयोग नक्सलियों के खिलाफ देश के कई हिस्सों में किया जा रहा है। ऐसे में 2015 में होने वाले ऐरो शो में बेंगलुरु पुलिस की ड्रोन की तलाश पूरी हो सकती है।
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