फाइल फोटो
नई दिल्ली:
अगर देश की आसमानी सरहद से दुश्मन का कोई लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल या फिर ड्रोन देश में घुसने या फिर हमला करने की कोई कोशिश करे तो उसकी खैर नहीं क्योंकि अब उसकी ऐसे नापाक हरकत का जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना को देसी आसमानी आंख मिलने जा रही है. वायुसेना को मिलने जा रहा एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम यानी अवाक्स करीब 400 किलोमीटर तक दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखेगा. मंगलवार को बेंगुलरु में शुरू होने जा रहे एयरो इंडिया शो में इसे भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा. 14 फरवरी को डीआरडीओ की ओर से वायुसेना को इससे अच्छा वैलेंटाइन गिफ्ट कुछ और नहीं हो सकता है. ऐसे और दो सिस्टम वायुसेना में शामिल होंगे.
यह अवाक्स पूरी तरह से देश में ही बना है. इसमें कई ऐसे अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं जो देश में ही बनकर तैयार हुए हैं. आपको बता दें कि इसी साल 26 जनवरी को राजपथ पर भी देसी अवाक्स की उड़ान लाखों लोग देख चुके हैं. इसके आने से पाकिस्तान और चीन से मिलने वाली आसमानी चुनौती से निपटना पहले से आसान हो जाएगा क्योंकि इसके आने से वायुसेना का सुरक्षा घेरा काफी मजबूत हो जाएगा. एयरबोर्न निगरानी सिस्टम से हवाई युद्ध में काफी असर पड़ेगा.
ये प्रणाली स्टेट ऑफ द आर्ट तकनीक से बनी है और हर मौसम में काम कर सकती है. इसमें हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है जिसके चलते इसकी क्षमता कई गुना बढ़ जाती है. बड़ी बात यह है कि डीआरडीओ ने इसे वायुसेना की जरूरतों के मुताबिक तैयार किया है जो उसकी उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरता है. 2400 करोड़ की लागत से बने इस प्रोजेक्ट का पहला अवाक्स 14 फरवरी को वायुसेना को मिल जाएगा. हालांकि वायुसेना के पास पहले से तीन अवाक्स हैं लेकिन वो देशी नहीं हैं. उसमें लगा रडार सिस्टम इजरायल का बना हुआ है.
डीआरडीओ ने देश में निर्मित नया सिस्टम ब्राजील से खरीदे गए विमान एम्ब्रायर पर लगाया है. इसके कई परीक्षण सफल होने के बाद ही वायुसेना को सौंपा जा रहा है. अपना अवाक्स बनाकर भारत उन चुनिंदा पांच देशों की टीम में शामिल हो गया है जिनके पास खुद का बनाया हुआ अवाक्स है.
यह अवाक्स पूरी तरह से देश में ही बना है. इसमें कई ऐसे अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं जो देश में ही बनकर तैयार हुए हैं. आपको बता दें कि इसी साल 26 जनवरी को राजपथ पर भी देसी अवाक्स की उड़ान लाखों लोग देख चुके हैं. इसके आने से पाकिस्तान और चीन से मिलने वाली आसमानी चुनौती से निपटना पहले से आसान हो जाएगा क्योंकि इसके आने से वायुसेना का सुरक्षा घेरा काफी मजबूत हो जाएगा. एयरबोर्न निगरानी सिस्टम से हवाई युद्ध में काफी असर पड़ेगा.
ये प्रणाली स्टेट ऑफ द आर्ट तकनीक से बनी है और हर मौसम में काम कर सकती है. इसमें हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है जिसके चलते इसकी क्षमता कई गुना बढ़ जाती है. बड़ी बात यह है कि डीआरडीओ ने इसे वायुसेना की जरूरतों के मुताबिक तैयार किया है जो उसकी उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरता है. 2400 करोड़ की लागत से बने इस प्रोजेक्ट का पहला अवाक्स 14 फरवरी को वायुसेना को मिल जाएगा. हालांकि वायुसेना के पास पहले से तीन अवाक्स हैं लेकिन वो देशी नहीं हैं. उसमें लगा रडार सिस्टम इजरायल का बना हुआ है.
डीआरडीओ ने देश में निर्मित नया सिस्टम ब्राजील से खरीदे गए विमान एम्ब्रायर पर लगाया है. इसके कई परीक्षण सफल होने के बाद ही वायुसेना को सौंपा जा रहा है. अपना अवाक्स बनाकर भारत उन चुनिंदा पांच देशों की टीम में शामिल हो गया है जिनके पास खुद का बनाया हुआ अवाक्स है.
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