यह ख़बर 22 जुलाई, 2014 को प्रकाशित हुई थी

भ्रष्ट जज के मामले में मनमोहन सिंह के कार्यालय ने किया था हस्तक्षेप : सूत्र

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के तीन सबसे वरिष्ठ जजों द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपी मद्रास हाईकोर्ट के एक जज का कार्यकाल बढ़ा जाने के खिलाफ राय दिए जाने के बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कथित रूप से उस जज का कार्यकाल बढ़ाने के लिए मामले में हस्तक्षेप किया था। सूत्रों ने एनडीटीवी को आज यह जानकारी दी है।
 
मई 2005 में प्रधानमंत्री कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के कलोजियम को एक चिट्ठी लिख कर मद्रास हाईकोर्ट के जज को कनफर्म करने का समर्थन किया था। हालांकि इसके बावजूद जब सुप्रीम कोर्ट के जज नहीं माने, तब तत्कालीन कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज ने कलोजियम को चिट्ठी लिखकर उस जज की सिफारिश की। इसके बाद तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश आरसी लोहाटी ने उस जज के कार्यकाल को बढ़ा दिया, लेकिन उन्हें स्थाई नहीं किया।
 
उधर, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू के यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपी मद्रास हाई कोर्ट के एक जज का कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश संबंधी आरोपों पर मच रहे बवाल पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि उन्हें इस मामले पर कुछ नहीं कहना है। उनके सहयोगी रहे तत्कालीन कानून मंत्री एचआर भारद्वाज इस पर बयान दे चुके हैं।

पत्रकारों ने जब इस बारे में मनमोहन सिंह से सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'तत्कालीन कानून मंत्री एचआर भारद्वाज इस मामले पर पूरी बात सामने रख चुके हैं। मुझे अब इस पर कुछ नहीं कहना है।'

गौरतलब है कि भारद्वाज ने कहा था कि कथित जज को किसी तरह का लाभ नहीं दिया गया था क्योंकि उनकी नियुक्ति सही प्रक्रिया से हुई थी।

इसके साथ ही उन्होंने कहा था, 'जहां तक गठबंधन सरकार पर सहयोगी दलों द्वारा राजनैतिक दबाव डालने की बात है तो जजों की नियुक्ति को लेकर ये दबाव हमेशा थे लेकिन मैंने कभी इन्हें नहीं माना।'

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