सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर आने वाले चढ़ावे को लेकर बरसों से चल रहा विवाद अब खत्म होता नजर आ रहा है, क्योंकि इस मुद्दे पर दरगाह के दीवान और खादिम इन दोनों पक्षों के बीच अहम समझौता हो गया है।
हाईकोर्ट ने सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में आने वाले चढ़ावे के संग्रहण के लिए 19 अगस्त से पहले दान पेटियां लगाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने साफ कर दिया कि दरगाह दीवान और खादिमों में समझौते से कोर्ट को सरोकार नहीं है, बल्कि पहले कोर्ट के आदेश की तामील सुनिश्चित की जानी चाहिए।
कोर्ट के ताजा आदेश के बाद दरगाह नाजिम और रिसीवर अब आस्ताना शरीफ व परिसर में दान पेटियां रखेंगे। साथ ही आने वाले चढ़ावे के बंटवारे की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
दरगाह चढ़ावा प्रकरण के संबंध में दरगाह नाजिम और रिसीवर अशफाक हुसैन को मंगलवार को कोर्ट के पूर्व आदेश की अनुपालना रिपोर्ट पेश करनी थी। इसे देखते हुए नाजिम व रिसीवर अशफाक हुसैन कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत हुए और कोर्ट के आदेश की अनुपालना में अब तक की कवायद से अवगत कराया। साथ ही हुसैन ने कहा कि चढ़ावा प्रकरण में संबद्ध दोनों पक्षों में आपस में समझौते की कार्रवाई चल रही है।
कोर्ट ने 19 अगस्त तक हर हाल में कोर्ट के आदेश को अमल में लाने का हुक्म दिया। कोर्ट के निर्देश के मुताबिक चढ़ावे को दोनों पक्षों में बराबर बांटा जाए, दरगाह में दान पेटियां रखीं जाए और दान पेटियों की चाबी दरगाह कमेटी के नाजिम के पास रहेगी।
यहां एक बात का जिक्र करना जरूरी है कि हर साल लाखों की तादाद में अकीदतमंद अजमेर दरगाह पर जियारत करने के लिए पहुंचते हैं और यहां करोड़ों का चढ़ावा आता है, लेकिन यहां जायरीनों के लिए सुविधाओं का पूरा इंतजाम अब भी नहीं हो पाया है।
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