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This Article is From Nov 01, 2019

WhatsApp के जरिये जासूसी में क्या सरकार की है कोई भूमिका? यहां समझें पूरा मामला 

वाट्सएप (WhatsApp) के जरिये जिन लोगों की जासूसी की गई है, उनके नाम पर गौर करने पर संदेह पैदा होता है कि क्या इसमें सरकार की कोई भूमिका रही है?

नई दिल्ली:

वाट्सएप (WhatsApp) ने कई भारतीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बताया है कि एक इजरायली सॉफ्टवेयर के जरिये उनकी जासूसी की गई. ये जासूसी लोकसभा चुनाव के दौरान हुई है. जिन लोगों की जासूसी की गई है, उनके नाम पर गौर करने पर संदेह पैदा होता है कि क्या इसमें सरकार की कोई भूमिका रही है? हालांकि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि भारत के नागरिकों की निजता में व्हाट्सएप पर उल्लंघन होने को लेकर सरकार चिंतित है. इस बारे में व्हाट्सएप से बात की है और उनसे पूछा है कि वह लाखों भारतीयों की निजता की सुरक्षा को लेकर क्या कर रहे हैं. दरअसल, एक दिन पहले ही 'इंडियन एक्सप्रेस' ने रिपोर्ट दी थी कि वाट्सएप के ज़रिए कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी की गई है. 

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कुछ ही घंटों के भीतर उन लोगों के नाम भी सामने आने लगे, जिनकी जासूसी हुई है. इनमें कई लोग वो हैं जो नक्सलवाद या मानवाधिकारवादी आंदोलनों से सहानुभूति रखने के आरोप में सरकार के निशाने पर रहे हैं. मिसाल के तौर पर भीमा कोरेगांव मामले से जुड़े आरोपियों के वकीलों निहाल सिंह राठौड़ और शालिनी गेरे ने बताया कि उन्हें ये संदेश मिला कि उनकी जासूसी हो रही है. इस मामले में गिरफ़्तार लेखक और प्रोफ़ेसर आनंद तेलतुंबड़े ने भी कहा कि उनकी जासूसी हो रही थी. कुछ वो लोग हैं जो छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के बीच काम कर रहे हैं- जैसे वकील डिग्री चौहान और सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया. वामपंथी संगठनों पर लिखने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर ने भी कहा कि उन्हें निशाना बनाया गया.  

लोकसभा चुनाव के दौरान हुई जासूसी
वाट्सएप (WhatsApp) के मुताबिक ये जासूसी 29 अप्रैल से 10 मई के बीच हुई. उस वक़्त देश में आम चुनाव हो रहे थे. वाट्सएप का कहना है कि उन्हें मई में इसका पता चला और फिर उन्होंने इसे ब्लॉक कर दिया. इसके बाद वाट्सएप के साथ मिलकर इस मामले की जांच करने वाले ग्रुप सिटीजन लैब ने लोगों से संपर्क करना शुरू किया. इस हफ्ते वाट्सएप ने एक-एक शख़्स को जानकारी दी कि उनका फोन निशाने पर था. जिन लोगों को निशाना बनाया गया है, उनके चुनाव से ये संदेह गहरा गया है कि इसके पीछे सरकार की भूमिका है.  लेकिन सरकार ने एक के बाद एक बयान देकर इसमें अपनी भूमिका नकार दी. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसको लेकर ट्वीट किया. सरकार ने ये भी कहा कि ये एक अमेरिकी कंपनी वाट्सएप और एक इज़राइली कंपनी के बीच का मामला है. बता दें कि भारत में 40 करोड़ एक्टिव वाट्सएप यूज़र हैं. 

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जासूसी से जुड़ी खास बातें : 
- ये हैकिंग इज़राइल की एक फ़र्म एनएसओ के बनाए एक सॉफ्टवेयर के ज़रिए हुई
- इस कंपनी पर वाट्सऐप की पैरेंट कंपनी फेसबुक ने मुक़दमा कर दिया है
- हालांकि एनएसओ का कहना है कि उसने कुछ भी ग़लत नहीं किया
- वह अपना सॉफ्टवेयर दुनिया भर में वैध सरकारी एजेंसियों को ही देती है
- जासूसी में करीब 20 देशों के सरकारी अधिकारियों को भी निशाना बनाया गया

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