मुंबई:
जेडीयू से नाता टूटने के बाद एनडीए के बिखरते कुनबे पर शिवसेना की तरफ से सामना में कड़ा लेख लिखा गया है। शिवसेना ने बीजेपी से पूछा है कि वह बताए कि एनडीए का कुनबा कहां से बढ़ाया जाएगा, नए दोस्त कहां से आएंगे। यही नहीं शिवसेना ने एनडीए के वजूद पर ही सवाल उठाए हैं, और आडवाणी की उस सलाह पर भी चुटकी ली है, जिसमें उन्होंने दूसरे दलों को एनडीए में जोड़ने की सलाह दी है।
सामना में लिखा गया है कि वरिष्ठ नेता एलके आडवाणी ने सलाह दी है कि नए मित्र जोड़िए। क्या वे कोई फसल हैं कि बीज बोये और हर साल उगते रहें? मित्र किसी वृक्ष की तरह होते हैं, जिन्हें संजोना पड़ता है। अगर छाया और फल देने वाले वृक्ष को तोड़ा जाने लगा तो नए मित्र आएंगे कहां से?
17 साल से बीजेपी का साथ देनेवाली जेडीयू साथ छोड़कर गई, नए मित्र जोड़ने के बजाय जो थे वही छोड़कर जा रहे हैं। अब एनडीए में बचा कौन है? शिवसेना, अकाली दल और बीजेपी। पंजाब से 13 सांसद चुनकर आते हैं और अकाली दल यहां पर चार-पांच से आगे जाती नहीं है।
क्या बीजेपी अकेले अपने बलबूते पर चुनाव लड़ पाएगी। अगर नहीं तो राष्ट्रीय स्तर पर उसके नए साथी कौन हैं या जाहिर किए जाने चाहिए। क्या ममता बीजेपी का साथ देगी? क्या उड़ीसा में नवीन पटनायक फिर से एनडीए में आएंगे? क्या येदियुरप्पा को मनाया जाएगा? क्या जगन कांग्रेस एनडीए के साथ आएंगे? जयललिता की मोदी के साथ भले ही दोस्ती है, लेकिन क्या वह एनडीए में आएंगी?
आजकल कोई किसी का न तो दोस्त होता है और न ही दुश्मन। अगर दोस्ती सच्ची हो तो दोस्ती बढ़ती है। आडवाणी की सलाह के बाद तो हमारे मित्रों को सावधान हो जाना चाहिए। अपमान और कपट से टूटी दोस्ती कभी जोड़ी नहीं जा सकती और वह न टूटे इसकी जिम्मेदारी मित्रों को लेनी चाहिए।
सामना में लिखा गया है कि वरिष्ठ नेता एलके आडवाणी ने सलाह दी है कि नए मित्र जोड़िए। क्या वे कोई फसल हैं कि बीज बोये और हर साल उगते रहें? मित्र किसी वृक्ष की तरह होते हैं, जिन्हें संजोना पड़ता है। अगर छाया और फल देने वाले वृक्ष को तोड़ा जाने लगा तो नए मित्र आएंगे कहां से?
17 साल से बीजेपी का साथ देनेवाली जेडीयू साथ छोड़कर गई, नए मित्र जोड़ने के बजाय जो थे वही छोड़कर जा रहे हैं। अब एनडीए में बचा कौन है? शिवसेना, अकाली दल और बीजेपी। पंजाब से 13 सांसद चुनकर आते हैं और अकाली दल यहां पर चार-पांच से आगे जाती नहीं है।
क्या बीजेपी अकेले अपने बलबूते पर चुनाव लड़ पाएगी। अगर नहीं तो राष्ट्रीय स्तर पर उसके नए साथी कौन हैं या जाहिर किए जाने चाहिए। क्या ममता बीजेपी का साथ देगी? क्या उड़ीसा में नवीन पटनायक फिर से एनडीए में आएंगे? क्या येदियुरप्पा को मनाया जाएगा? क्या जगन कांग्रेस एनडीए के साथ आएंगे? जयललिता की मोदी के साथ भले ही दोस्ती है, लेकिन क्या वह एनडीए में आएंगी?
आजकल कोई किसी का न तो दोस्त होता है और न ही दुश्मन। अगर दोस्ती सच्ची हो तो दोस्ती बढ़ती है। आडवाणी की सलाह के बाद तो हमारे मित्रों को सावधान हो जाना चाहिए। अपमान और कपट से टूटी दोस्ती कभी जोड़ी नहीं जा सकती और वह न टूटे इसकी जिम्मेदारी मित्रों को लेनी चाहिए।
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