यह ख़बर 10 जून, 2013 को प्रकाशित हुई थी

लालकृष्ण आडवाणी को जो मिलना चाहिए था, नहीं मिला : दिग्विजय

खास बातें

  • कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सोमवार को भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को गुजरात के मुख्यमंत्री के खिलाफ यह कहकर चेताया कि नरेंद्र मोदी ने हमेशा उन्हीं हाथों को ‘काटा’ है जिन्होंने उन्हें आगे बढ़ाया।
नई दिल्ली:

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सोमवार को भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को गुजरात के मुख्यमंत्री के खिलाफ यह कहकर चेताया कि नरेंद्र मोदी ने हमेशा उन्हीं हाथों को ‘काटा’ है जिन्होंने उन्हें आगे बढ़ाया।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि आडवाणी को भाजपा में वो नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे। सिंह ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि मोदी ने हमेशा उन्हीं हाथों को काटा है जिन्होंने उन्हें आगे बढ़ाया। इसलिए हम राजनाथ सिंह को सावधान करना चाहेंगे।’’ कांग्रेस महासचिव ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के प्रति सहानुभूति जताई, जो गोवा के अधिवेशन में शामिल होने नहीं गए। इसी अधिवेशन में मोदी को पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख बनाया गया।

आडवाणी के अधिवेशन में भाग न लेने पर सिंह ने कहा, ‘‘वह (आडवाणी) एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने वर्ष 1984 में भाजपा की जीती सीटों की संख्या को 2 से 182 पर पहुंचा दिया था। ऐसा व्यक्ति यदि कुछ और समय की मांग करता है और कुछ समय इंतजार के लिए कहता है या फिर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी की अध्यक्षता वाली एक समिति समेत कुल दो समितियों के गठन की मांग भी करता है तो कुछ वक्त रूकने में क्या परेशानी थी? आखिर जल्दी क्या थी? उनका कोई विमान तो छूट नहीं रहा था।’’

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने इस विचार को सिरे से खारिज कर दिया कि मोदी उनकी पार्टी के लिए कोई खतरा बन सकते हैं। सिंह ने कहा, ‘‘वह कभी भी कांग्रेस पार्टी के लिए खतरा नहीं रहे। हम उन्हें गंभीरता से नहीं लेते।’’ कांग्रेसी नेता ने इन दावों को भी नकार दिया कि अगले लोकसभा चुनाव में राहुल का सीधा मुकाबला मोदी से होगा।

सिंह ने कहा, ‘‘हम चुनाव सिद्धांतों के आधार पर लड़ते हैं न कि व्यक्तित्वों के आधार पर।’’ कल मोदी की नियुक्ति पर एक तरह से उपेक्षा का भाव जताते हुए पार्टी के प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा कि उनका प्रभाव गुजरात तक ही सीमित है।

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‘‘हमने कर्नाटक में उनके अभियान में खोखलापन देख है। वह सिर्फ उन्हीं लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं जिन्हें सांप्रदायिक राजनीति और सांप्रदायिक व्यक्तित्व पसंद हैं। लेकिन इस तरह की राजनीति भारत के लोकाचार के खिलाफ है। आम जनता मोदी जैसे लोगों की सांप्रदायिक राजनीति को पसंद नहीं करती।’’