फाइल फोटो
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                नई दिल्ली: 
                                        पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए ख़तरा पैदा हो गया है। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए मनमोहन ने कहा कि देश के सामाजिक बुनावट को लगातार तोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसे रोकने के लिए युवाओं को ज़िम्मेदारी उठानी होगी।
मोदी सरकार पर मनमोहन का ये सबसे बड़ा हमला है। अर्थशास्त्र के जानकार मनमोहन ने न सिर्फ राजनीतिक आरोप लगाए बल्कि बीजेपी सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी सवाल उठाए। कहा कि कृषि उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है। गांवों में रहने वाली देश की 65 फीसदी आबादी संतुष्ट नहीं है। निर्यात में कमी आ रही है। बीजेपी सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। लेकिन पिछले एक साल में बीजेपी सरकार कई आंकड़ों और तथ्यों को गढ़ कर ये जताने की कोशिश कर रही है कि अर्थव्यवस्था की हालत उतनी खराब नहीं है।
मनमोहन ने बीजेपी के इस आरोप को ग़लत बताया कि यूपीए सरकार पॉलिसी पैरालिसिस की शिकार थी। मनमोहन ने कहा कि हमारी सरकार के दौरान औसत सालाना विकास दर साढ़े आठ फीसदी थी जो कि एक रिकॉर्ड रही। चीन के बाद भारत दुनिया में सबसे तेज़ी से विकास करने वाले देश था। लेकिन झूठ फैलाने से बाज नहीं आ रही।
मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री मोदी के मेक इन इंडिया को यूपीए सरकार की उत्पादन नीति का कार्बन कॉपी करार दिया। कहा कि यूपीए की नीतियां ही उनके काम आ रही हैं। मोदी सरकार पर हमले के अलावा मनमोहन ने अपने ऊपर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफाई भी दी। कहा कि उन्होंने कभी भी अपने पद और दफ्तर का इस्तेमाल ख़ुद या अपने परिवार या दोस्त को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं किया। बीजेपी उन पर बेबुनियाद आरोप लगती रही है।
मनमोहन की सफाई पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जवाब दिया कि प्रधानमंत्री की ज़िम्मेदारी सिर्फ ख़ुद भ्रष्टाचार नहीं करने की नहीं होती है बल्कि दूसरे को भी भ्रष्टाचार न करने देने की भी होती है। मनमोहन इसमें नाकामयाब रहे। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने सवाल उठाया कि मनमोहन ने अपना मौन अब क्यों तोड़ा है। प्रधानमंत्री रहते जब जनता सवाल पूछ रही थी तब क्यों नहीं बोला।
कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमले कर रही है। मनमोहन ने आज उसे और धार दे दिया। चुनावी हार के बाद हाशिए पर चले गए मनमोहन के लगता है पार्टी में अच्छे दिन फिर से आ गए हैं। एनएसयूआई के अधिवेशन में उनकी मौजूदगी से ये संदेश भी साफ है कि कांग्रेस युवा जोश को मनमोहन के अनुभवों से जोड़ना चाह रही है ताकि पार्टी को ज़मीनी स्तर पर मज़बूती से खड़ा किया जा सके।
                                                                        
                                    
                                मोदी सरकार पर मनमोहन का ये सबसे बड़ा हमला है। अर्थशास्त्र के जानकार मनमोहन ने न सिर्फ राजनीतिक आरोप लगाए बल्कि बीजेपी सरकार की आर्थिक नीतियों पर भी सवाल उठाए। कहा कि कृषि उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है। गांवों में रहने वाली देश की 65 फीसदी आबादी संतुष्ट नहीं है। निर्यात में कमी आ रही है। बीजेपी सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। लेकिन पिछले एक साल में बीजेपी सरकार कई आंकड़ों और तथ्यों को गढ़ कर ये जताने की कोशिश कर रही है कि अर्थव्यवस्था की हालत उतनी खराब नहीं है।
मनमोहन ने बीजेपी के इस आरोप को ग़लत बताया कि यूपीए सरकार पॉलिसी पैरालिसिस की शिकार थी। मनमोहन ने कहा कि हमारी सरकार के दौरान औसत सालाना विकास दर साढ़े आठ फीसदी थी जो कि एक रिकॉर्ड रही। चीन के बाद भारत दुनिया में सबसे तेज़ी से विकास करने वाले देश था। लेकिन झूठ फैलाने से बाज नहीं आ रही।
मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री मोदी के मेक इन इंडिया को यूपीए सरकार की उत्पादन नीति का कार्बन कॉपी करार दिया। कहा कि यूपीए की नीतियां ही उनके काम आ रही हैं। मोदी सरकार पर हमले के अलावा मनमोहन ने अपने ऊपर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफाई भी दी। कहा कि उन्होंने कभी भी अपने पद और दफ्तर का इस्तेमाल ख़ुद या अपने परिवार या दोस्त को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं किया। बीजेपी उन पर बेबुनियाद आरोप लगती रही है।
मनमोहन की सफाई पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जवाब दिया कि प्रधानमंत्री की ज़िम्मेदारी सिर्फ ख़ुद भ्रष्टाचार नहीं करने की नहीं होती है बल्कि दूसरे को भी भ्रष्टाचार न करने देने की भी होती है। मनमोहन इसमें नाकामयाब रहे। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने सवाल उठाया कि मनमोहन ने अपना मौन अब क्यों तोड़ा है। प्रधानमंत्री रहते जब जनता सवाल पूछ रही थी तब क्यों नहीं बोला।
कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमले कर रही है। मनमोहन ने आज उसे और धार दे दिया। चुनावी हार के बाद हाशिए पर चले गए मनमोहन के लगता है पार्टी में अच्छे दिन फिर से आ गए हैं। एनएसयूआई के अधिवेशन में उनकी मौजूदगी से ये संदेश भी साफ है कि कांग्रेस युवा जोश को मनमोहन के अनुभवों से जोड़ना चाह रही है ताकि पार्टी को ज़मीनी स्तर पर मज़बूती से खड़ा किया जा सके।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं