
24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचा था मंगलयान (फाइल फोटो)
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मंगलयान ने 24 मार्च 2015 को ही अपना 6 महीने का कार्यकाल पूरा कर लिया था
यह लगभग तीन दिन में मंगल की कक्षा का एक चक्कर पूरा करता है
भारत अपने पहले प्रयास में ही मंगल पर पहुंचने वाला पहला देश है
पांच नवंबर 2013 को मंगल यात्रा पर भेजे गए इस यान ने 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचकर इतिहास रच दिया था और इसके साथ ही भारत अपने पहले प्रयास में ही मंगल पर पहुंच जाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था. मंगल पर पहुंचने वाले अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों को कई प्रयासों में सफलता मिली थी.
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यान के मंगल की कक्षा में पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘मॉम (एमओएम) का मंगल से मिलन.’ इसरो के अधिकारी ने बताया कि मंगलयान को छह महीने के मिशन पर भेजा गया था जो इसने 24 मार्च 2015 को पूरा कर लिया, लेकिन यह आज 34 महीने बाद भी मंगल के अध्ययन में भारतीय अंतिरक्ष विज्ञानियों को लगातार डेटा उपलब्ध करा रहा है.
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महज 450 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ यान 24 सितंबर 2014 से लाल ग्रह का लगातार चक्कर लगा रहा है. इस दौरान इसने मंगल की सतह, वहां की घाटियों, पर्वतों, बादलों और वहां उठने वाले धूल भरे तूफानों की शानदार तस्वीरें तथा डेटा मुहैया कराया है.
मंगलयान अपने साथ पांच पेलोड लेकर गया था जिनमें मार्स कलर कैमरा (एमसीसी), मीथेन सेंसर फॉर मार्स (एमएसएम), लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी), मार्स एक्सोस्फेयरिक न्यूट्रल कंपोजीशन एनालाइजर (एमईएनसीए) और थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (टीआईएस) शामिल हैं. मंगलयान लगभग तीन दिन में मंगल की कक्षा का एक चक्कर पूरा करता है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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