96% अंक के बाद भी रेलवे ने नौकरी नहीं दी, ललित को चाहिए अब प्रधानमंत्री मोदी से मदद

96% अंक के बाद भी रेलवे ने नौकरी नहीं दी, ललित को चाहिए अब प्रधानमंत्री मोदी से मदद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

आपको कैसा लगेगा यदि आपको पता चले कि आपको परीक्षा में बेहतरीन अंक मिलने के बाद भी महज इसलिए नौकरी पर नहीं रखा जा रहा है क्योंकि परीक्षा लेने वालों को लगता है कि आपने इतने बढ़िया अंक किसी गड़बड़झाले के चलते हासिल किए हैं। रेलवे भर्ती परीक्षा में 96 प्रतिशत अंक पाने के बावजूद नौकरी न मिलने से निराश एक युवक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है।

दिसंबर 2013 में उत्तर रेलवे की ग्रुप डी परीक्षा थी...
ललित कुमार 31 साल के हैं और उन्होंने दिसंबर 2013 में उत्तर रेलवे की ग्रुप डी परीक्षा में हिस्सा लिया था। 96 फीसदी अंक आने के बाद भी उन्हें इसलिए कॉल नहीं किया गया क्योंकि रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ को लगता है कि यह अंक ललित ने 'गलत तरीके' से हासिल कि हैं।

जब भर्ती परीक्षा का परिणाम आया, तो उसका चयन नहीं हुआ था। ललित आश्वस्त थे कि जरूर कोई गलती हुई है, इसलिए उन्होंने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत जानकारी मांगी।

एक साल बाद ललित को जवाब मिला...
एक साल बाद ललित को जवाब दिया गया जिसमें बताया गया कि उसकी उम्मीदवारी रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ ने इसलिए रद्द कर दी, क्योंकि यह अंक कट-ऑफ से कहीं ज्यादा है और प्रकोष्ठ को लगता है कि यह अंक उसने परीक्षा में किसी गलत तरीके का इस्तेमाल करके हासिल किए हैं।

जबाव से असंतुष्ट ललित बड़ौदा हाउस में स्थित उत्तर रेलवे के कार्यालय में केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) के पास लगातार जाते रहे। ललित की जिद देखकर, अधिकारी ने उसे केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में अपील दायर करने के लिए कहा।

ललित ने बताया, मैंने प्रथम अपील प्राधिकरण (एफएए) और सीआईसी में अपनी अपील दायर की।' ललित की अपील पर सीआईसी ने जुलाई 2015 का समय सुनवाई के लिए तय किया, लेकिन एफएए ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

ललित ने कहा, चुनौती देने को तैयार हूं...
सीआईसी ने 10 अगस्त को सीपीआईओ से ललित के चयनित नहीं होने का कारण 30 दिनों में बताने के लिए कहा। सीपीआईओ ने ही ललित पर परीक्षा में अनुचित साधनों को उपयोग करने का आरोप लगाया। ललित ने कहा, 'उनके पास कोई सबूत नहीं है कि मैंने अनुचित साधन या धोखाधड़ी की थी। मैं उन्हें इसे साबित करने की चुनौती देता हूं?'

ललित अब इग्नू से बैचलर ऑफ सोशल वर्क की पढ़ाई कर रहे हैं और अपने परिवार की देखभाल के लिए दिल्ली परिवहन निगम में कंडक्टर का काम भी कर रहे हैं। ललित के मुताबिक, मैं एक गरीब परिवार से हूं और मेरे व मेरे परिवार के लिए यह परीक्षा काफी मायने रखती है।

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ललित ने अब न्याय के लिए लिखित में प्रधानमंत्री कार्यालय से मदद की गुहार लगाई है। ललिल ने इसे अपनी आखिरी उम्मीद बता रहे हैं।