शनिवार को दिल्ली के जखीरा इलाके में 26 साल के ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल माना राम ट्रैफिक संभाल रहे थे। जिस जगह वह ट्रैफिक संभाल रहे थे, वहां एक तरफ का रोड बंद से डायवर्सन था, लेकिन एक रिट्ज कार में बैठे लड़के उस नो एंट्री में घुसना चाहते थे। माना राम ने मना किया, लेकिन लड़के नहीं माने और उन्होंने सीधा माना राम को टक्कर मारी।
माना राम ने उनको पकड़ने के लिए गाड़ी पर छलांग लगायी और गाड़ी के अगले हिस्से पर बोनेट पर वाइपर पकड़कर लटक गया। कुछ देर तक संघर्ष चला और आखिर में माना राम अपनी नौकरी करते हुए शहीद हो गए।
दिल्ली पुलिस ने माना राम को मुआवज़े के तौर पर एक करोड़ रुपये देने की मांग करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल को चिट्ठी लिखी है। उनका कहना है की दिसंबर में जब कांस्टेबल विनोद कुमार शराब माफिया से लड़ते हुए शहीद हुए थे, तब भी सरकार ने उसके परिवार को एक करोड़ रुपये देने का ऐलान किया था।
हालांकि इस मामले में पेंच यह है कि वह फैसला केजरीवाल सरकार का था जो अब सत्ता में नहीं है। और केजरीवाल सरकार का वह फैसला इसलिए था क्यूंकि आम आदमी पार्टी के मैनिफेस्टो में यह वादा था।
वैसे दिल्ली पुलिस की ओर से माना राम के परिवार को कुल 37 लाख रुपये दिए जा रहे हैं और इसमें 20 लाख रुपये का शहीद फंड का पैसा और बाकी प्रोविडेंट फंड वगैरह के पैसे शामिल हैं, लेकिन यह तो दिल्ली पुलिस अपने हर जवान को अपनी तरफ से देती ही है। सरकार की तरफ से मुआवज़ा इसमें शामिल नहीं। अब देखना होगा कि क्या दिल्ली के उपराज्यपाल केजरीवाल सरकार की राह पर चलेंगे या कुछ और फैसला करेंगे।
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