साल 2021 से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है और बीते वर्ष सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले दुनिया के 50 शहरों में से 35 शहर भारत के थे. एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है. यह रिपोर्ट स्विस संगठन ‘आईक्यूएयर' द्वारा तैयार की गई है और इसे मंगलवार को वैश्विक स्तर पर जारी किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में भारत का कोई भी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानक (पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पीएम-2.5 सांद्रता) पर खरा नहीं उतर सका.
उत्तर भारत की स्थिति सबसे खराब है. दिल्ली लगातार दूसरे वर्ष दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में प्रदूषण लगभग 15 प्रतिशत बढ़ा है. यहां वायु प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ की सेप्टी लिमिट से लगभग 20 गुना अधिक था, जिसमें वार्षिक औसत के लिए पीएम2.5 96.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था. सेफ्टी लिमिट 5 है.
दिल्ली का वायु प्रदूषण विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है, दुनिया का सबसे प्रदूषित स्थान राजस्थान का भिवाड़ी है, इसके बाद दिल्ली की पूर्वी सीमा पर उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद जिला. टॉप 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से दस भारत में हैं और ज्यादातर राष्ट्रीय राजधानी के आसपास हैं. टॉप 100 सबसे प्रदूषित स्थानों की सूची में भारत के 63 जगह है. आधे से ज्यादा हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हैं.
2021 में वैश्विक वायु गुणवत्ता की स्थिति का अवलोकन प्रस्तुत करने वाली यह रिपोर्ट, 117 देशों के 6,475 शहरों के पीएम 2.5 वायु गुणवत्ता डेटा पर आधारित है. रिपोर्ट के मुताबिक सबसे प्रदूषित राजधानी शहरों में ढाका के बाद दिल्ली के दूसरे स्थान पर है, इसके बाद चाड में एन'जामेना, ताजिकिस्तान में दुशांबे और ओमान में मस्कट है.
इसमें कहा गया है, “दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 35 भारत में हैं. देश में पीएम-2.5 का वार्षिक औसत स्तर 2021 में 58.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया, जिससे इसमें तीन वर्षों से दर्ज किया जा रहा सुधार थम गया.”
रिपोर्ट के मुताबिक, “भारत में पीएम-2.5 का वार्षिक औसत स्तर 2019 में लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंच गया है. चिंता की बात यह है कि 2021 में कोई भी भारतीय शहर पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के डब्ल्यूएचओ के मानक पर खरा नहीं उतरा.”
रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 48 फीसदी शहरों में पीएम-2.5 कणों का स्तर 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक था, जो डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित मानक से दस गुना है. ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेन मैनेजर अविनाश चंचल ने ‘आईक्यूएयर' के हालिया आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट सरकारों और निगमों के लिए आंखें खोलने वाली है.
उन्होंने कहा, “इससे एक बार फिर साबित होता है कि लोग खतरनाक रूप से प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं. वाहनों से होने वाला उत्सर्जन शहरों की आबोहवा में पीएम-2.5 कणों की भारी मौजूदगी के प्रमुख कारकों में से एक है.” रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2021 में वैश्विक स्तर पर कोई भी देश डब्ल्यूएचओ के मानक पर खतरा नहीं उतरा और दुनिया के केवल तीन देशों ने इसे पूरा किया.
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