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This Article is From Sep 24, 2019

कोर्ट ने पूछा- उपहार अग्निकांड के दोषी को पासपोर्ट के लिए क्यों दिया गया VVIP दर्जा

न्यायाधीश नजमी वज़िरी ने कहा, 'यह तर्क दिया जा रहा है कि 22 जुलाई 2018 को आवेदक को जारी किए गए एफ-टोकन के आधार पर थोड़े समय के लिए ही पासपोर्ट दिया गया था, जबकि एफ-टोकन केवल VVIP व्यक्तियों के लिए जारी किया जाता है.

कोर्ट ने पूछा- उपहार अग्निकांड के दोषी को पासपोर्ट के लिए क्यों दिया गया VVIP दर्जा
13 जून 1997 को हिंदी फिल्म 'बॉर्डर' की स्क्रीनिंग के दौरान उपाहार सिनेमा में आग लग गई थी
नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट ने कम अवधि की वैधता वाला पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए 1997 के उपहार अग्निकांड के दोषी एवं रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल को ‘एफ-टोकन' जारी किए जाने पर सवाल उठाया है. इस अग्निकांड में 59 लोग मारे गए थे. अदालत ने कहा कि कई गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी ठहराये गए एक व्यक्ति के साथ VVIP का बर्ताव कैसे किया जा सकता है. न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने यह टिप्पणी की क्योंकि पासपोर्ट के लिए ‘एफ-टोकन' सिर्फ VVIP को दिया जाता है.

अदालत ने कहा, 'यह दलील दी गई है कि आवेदक को जारी एक एफ-टोकन के आधार पर 22 जुलाई 2018 को एक कम अवधि की वैधता वाला पासपोर्ट जारी किया गया. एफ-टोकन सिर्फ VVIP को दिया जाता है. यह हैरान करने वाला विषय है क्योंकि क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी के समक्ष प्राथमिकता के साथ लाभ प्राप्त करने के लिए कई गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी ठहराये गए एक व्यक्ति के साथ VVIP का बर्ताव कैसे किया जा सकता है.' न्यायाधीश ने कहा, ‘किसके इशारे या सिफारिश पर यह तथाकथित एफ-टोकन उन्हें दिया गया, इसका कोई जवाब नहीं मिला है.'

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अदालत ने पिछले साल एक पासपोर्ट के लिए अंसल का आवेदन सत्यापन पूर्व दर्जा से सत्यापन उपरांत की स्थिति में ले जाए जाने के विषय में विदेश मंत्रालय द्वारा दाखिल एक जांच रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद यह टिप्पणी की. अदालत ने यह भी कहा कि यह भी नहीं बताया गया है कि सत्यापन पूर्व दर्जा को किस तरह सत्यापन उपरांत दर्जा में तब्दील कर दिया गया और उनके पासपोर्ट आवेदन पर लगाये गए रोक की अनदेखी कर दी गई, जबकि दिल्ली पुलिस ने उनके बारे में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय को दो प्रतिकूल रिपोर्टें भेजी थी.

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उपहार हादसा पीड़ित संघ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा के दलीलें पेश करने के बाद अदालत ने यह टिप्पणी की. बहरहाल, अदालत ने सरकार के वकील की दलीलें सुनने के बाद इस विषय की अगली तारीख 26 सितंबर तय कर दी. गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने पिछले साल के अदालती निर्देश पर अंसल और उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की है, जिन्होंने उनके पक्ष में सत्यापन रिपोर्ट दी थी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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