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This Article is From Feb 29, 2012

एमसीडी : रिजर्व सीट पर याचिका खारिज

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें राज्य निर्वाचन आयोग की उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसके जरिए दिल्ली नगर निगम के आगामी चुनाव में अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए सीटें रिजर्व की गई थीं।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और राजीव शकधर ने अधिसूचना के विरोध में दिल्ली नगर निगम के पाषर्दों द्वारा दायर की गई 12 याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमें इन याचिकाओं में कोई पात्रता नहीं मिली, इन्हें खारिज किया जाता है।’’ अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग को अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए सीटें आरक्षित करने संबंधी अधिसूचना जारी करने का जो अधिकार दिया था, उसमें कुछ भी असंवैधानिक नहीं था।

अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग के 2001 की जनगणना के आधार पर अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए सीटें आरक्षित करने के फैसले को भी बरकरार रखा। पार्षदों ने चुनाव आयोग की अधिसूचना को यह कहकर चुनौती दी थी कि राज्य निर्वाचन आयोग ने अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए सीटें आरक्षित करने का जो तरीका अपनाया है वह त्रुटिपूर्ण है। उनका आरोप है कि इस प्रणाली से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि जिन इलाकों में अनुसूचित जाति की 40 प्रतिशत आबादी है उसे सामान्य वार्ड घोषित कर दिया गया है और जहां अनुसूचित जाति की आबादी 16 प्रतिशत है उसे सुरक्षित सीट बनाया गया है। पाषर्दों का तर्क है कि निर्वाचन आयोग ने सीटों का आरक्षण करते समय वाडरें में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या को ध्यान में रखने की बजाय विधानसभा क्षेत्रों में उनकी संख्या को ध्यान में रखा, जो सही नहीं है। निर्वाचन आयोग के वकील ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि आरक्षण का मकसद अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को उचित प्रतिनिधित्व देना था।

अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि आने वाले नगर निगम चुनाव पर रोक नहीं लगाई जाएगी। दिल्ली नगर निगम को हाल ही में तीन भागों उत्तरी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में बांटा गया है और स्थानीय निकाय के चुनाव अप्रैल में होने वाले हैं।

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