दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने बुधवार (10 मार्च) को दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को एक समलैंगिक महिला को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करने का निर्देश दिया है. महिला की मर्जी के खिलाफ जाकर उसके परिवार वालों ने उसकी शादी करवा दी है. कोर्ट ने परिजनों और ससुराल वालों दोनों पक्षों से महिला की रक्षा करने का निर्देश पुलिस को दिया है. जस्टिस मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ ने महिला को सुरक्षा प्रदान करने के लिए लाजपत नगर थाने के एसएचओ को ये निर्देश जारी किया है.
याचिका दायर करने वाली महिला ने अदालत को बताया कि वह 23 वर्ष की एक वयस्क महिला है, जिसके माता-पिता को उसके समलैंगिक होने की जानकारी है, बावजूद इसके, उसकी शादी एक व्यक्ति से जबरन करा दी गई और विषमलैंगिक रिश्ते में रहने के लिए उसे मजबूर किया जा रहा है.
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याचिकाकर्ता ने अदालत से यह भी मांग की है कि कोर्ट उसके पिता, ससुर और उसके पति को आदेश या निर्देश दे कि कोई भी उसके साथ किसी तरह का संवाद न शुरू करे और उसे डराने, धमकाने या धमकी देने की कोशिश न करे, विशेषकर उसके पैतृक या वैवाहिक घर लौटने के संबंध में या 'करेक्शन सर्जरी', पारिवारिक-धार्मिक अनुष्ठान या किसी भी समारोह में शामिल होने और सेक्सुअल ओरिएंटेशन के लिए दबाव न बनाया जाय.
समलैंगिक विवाह और हमारी नागरिकता का सवाल
याचिकाकर्ता महिला ने अदालत को बताया कि 12 अक्टूबर, 2019 को एक पुरुष के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ जबरन शादी कर दी गई थी, जबकि उसके माता-पिता पूरी तरह से ये बात जानते थे और उन्हें सूचित किया गया था कि वह समलैंगिक है. इसके बाद याचिकाकर्ता ने 7 मार्च को एक एनजीओ, एक्ट नाउ फॉर हार्मनी एंड डेमोक्रेसी (ANHAD) से संपर्क कर अपने लिए एक सुरक्षित घर की मांग की.
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