दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार अपने चुनावी वादों के अमल में जोर-शोर से जुट गई है। एनडीटीवी को सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि अगले 24 से 48 घंटों में केजरीवाल की सरकार बिजली कंपनियों के ऑडिट का आदेश जारी कर देगी।
आपको बता दें कि दिल्ली के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने लोगों से बिजली की दरों में 50 फीसदी की कटौती का वादा किया था। इस वादे को केजरीवाल जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं। खबर मिली है कि यह राहत दिल्ली में 400 यूनिट तक इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं के लिए होगी। अनुमान है कि इसका फायदा इस तरह से दिल्ली में रहने वाली 70 फीसदी आबादी पर पड़ेगा।
केजरीवाल के बिजली दरों को आधा करने के वादे पर दिल्ली बिजली रेगुलेटिरी कमीशन (डीएमआरसी) के चेयरमैन पीडी सुधाकर ने अहम बयान दिया है। उन्होंने इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा है कि
दिल्ली सरकार को बिजली की दर कम करने का अधिकार नहीं है। दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली तीन कंपनियां हैं, जिनमें से दो रिलायंस की हैं और एक टाटा की। तीनों बिजली वितरण कंपनियों में दिल्ली सरकार की 49 फीसीद हिस्सेदारी है। दिल्ली में खपत होने वाली 70 फीसदी बिजली बाहर से आती है।
तीनों बिजली कंपनियों की सालाना कमाई करीब 15 हजार करोड़ रुपये है। अगर सरकार बिजली के दाम 50 फीसदी कम करती है तो सरकार पर 7500 करोड़ का बोझ पड़ेगा।
बिजली कंपनियों का दावा है कि उन्हें 11 हजार करोड़ का नुक़सान हो रहा है। पिछले 10 साल में उनकी लागत 300 फीसदी बढ़ी है, जबकि उपभोक्ताओं को दी जा रही बिजली की दरें सिर्फ 70 फीसदी बढ़ी हैं। यह कहना कि सरप्लस बिजली से कंपनियां कमाई कर रही हैं, गलत है।
नॉन−पीक आवर में दिल्ली के पास 20 से 30 फीसदी सरप्लस बिजली होती है। यह बिजली केन्द्रीय बिजली नियामक आयोग की ओर से तय रेट पर ही ग्रिड में वापस जाती है।
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