दिल्ली में तीनों नगर निगम के विलय के बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी, बजट सत्र में पेश होगा विधेयक : सूत्र

Delhi MCD Merger : सूत्रों के अनुसार,बिल को संसद के मौजूदा बजट सत्र में ही पेश किए जाने की संभावना है.इस बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) ने  एक बयान जारी करके इस कदम को एमसीडी की चुनावों में देर करने की चाल बताया है

नई दिल्‍ली :

दिल्‍ली नगर निगम (संशोधन) बिल (Delhi Municipal Corporation Amendment) Bill) को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान की है, इसमें तीनों एमसीडी के विलय का प्रस्‍ताव है. सूत्रों के अनुसार,बिल को संसद के मौजूदा बजट सत्र में ही पेश किए जाने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार, एकीकृत नगर निगम पूरी तरह से सम्पन्न निकाय होगा और इसमें वित्तीय संसाधनों का सम विभाजन होगा जिससे तीन नगर निगमों के कामकाज को लेकर व्यय एवं खर्च की देनदारियां कम होंगी तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नगर निकाय की सेवाएं बेहतर होंगी. इसके तहत 1957 के मूल अधिनियम में भी कुछ और संशोधनों को मंजूरी दी गई है ताकि वृहद पारदर्शिता, बेहतर प्रशासन और दिल्ली के लोगों के लिये प्रभावी सेवाओं को लेकर ठोस आपूर्ति ढांचा सुनिश्चित किया जा सके.

इस संशोधन के माध्यम से वर्तमान तीन नगर निगमों को एक एकीकृत नगर निगम में समाहित किया जाएगा. गौरतलब है कि वर्ष 2011 में पूर्ववर्ती दिल्ली नगर निगम को तीन भागों-दक्षिण दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में विभाजित किया गया था. निगम का यह विभाजन, राजस्‍व सृजन क्षमता के मामले में असमान था, इसके चलते तीनों निगमों के संसाधन और उनके दायित्‍वों के बीच बड़ा अंतर था. इसके कारण तीनों निगम को वित्‍तीय सहित तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. इसके साथ ही कैबिनेट ने 2022-23 सीजन के लिए कच्‍चे जूट के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को भी मंजूरी दी. पीएम की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने आज कच्‍चे जूट के MSP की मंजूरी दी, यह अनुमोदन कमीशन फॉर एग्रीकल्‍चरल कास्‍ट एंड प्राइजेज की सिफारिशों पर आधारित है. कच्‍चे जूट की एमएसपी 2022-23 के लिए 4750 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है, पिछले साल के मुकाबले इस राशि में 250 रुपये का इजाफा किया गया है. 

इस बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) ने  एक बयान जारी करके इस कदम को एमसीडी की चुनावों में देर करने की चाल बताया है. AAP की ओर से कहा गया है, 'तीनों एमसीडी का बहुत पहले ही एकीकरण किया जा सकता था और कभी भी किया जा सकता है. यह एमसीडी के चुनावों को टालने की चाल है.  बीजेपी को दिल्‍ली में एमसीडी चुनाव हारने का डर सता रहा है. 

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