दिल्ली में तीनों नगर निगमों का क्यों करना पड़ा विलय, केंद्र सरकार ने बताई 5 वजहें

केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि वर्ष 2011में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांटने के बाद से उनका आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा था. कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा था. नगर निगमों की जरूरतें ज्यादा थीं, जबकि संसाधन कम थे.

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने राजधानी दिल्ली (Delhi MCD) में तीनों नगर निगम (Delhi 3 municipal corporations) के एकीकरण का फैसला किया है. इससे जु़ड़े बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को मंजूरी भी दे दी. सूत्रों का कहना है कि विधेयक को इसी बजट सत्र में संसद में पेश कर पारित भी कराया जा सकता है. केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि वर्ष 2011में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांटने के बाद से उनका आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा था. कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा था. नगर निगमों की जरूरतें ज्यादा थीं, जबकि संसाधन कम थे. सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए पेंशन जैसी कोई सुविधाएं नहीं दी जा पा रही थीं. आम लोग जरूरी बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान हो रहे थे.

लिहाजा यह तय किया गया है कि सरकार संसद के बजट सत्र के दौरान दिल्ली म्यूनिसिपल कारपोरेशन (एमेंडमेंट) 2022 (The Delhi Municipal Corporation (Amendment) Bill, 2022) लाएगी. इस बिल में दिल्ली के लिए एक एकीकृत नगर निकाय के गठन का प्रस्ताव है. वर्ष 2011 में एमसीडी को तीन हिस्सों में बांटा गया था. एमसीडी को तीन हिस्सों में बांटने का तरीका सही ना होने की वजह से हर नगर निगम अपनी क्षमता के मुताबिक राजस्व नहीं जुटा पा रहा था. इस वजह से तीनों म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में जरूरत के मुकाबले संसाधनों की काफी ज्यादा कमी थी,

पिछले कुछ दिनों में संसाधनों की कमी की से तीनों म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में वित्तीय संकट बढ़ रहा था. इस कारण तीनों नगर निकाय अपने कर्मचारियों को समय पर सैलरी और दूसरी सुविधाएं नहीं दे पा रहे थे. सेवानिवृत्ति से जुड़ी सुविधाएं भी कार्यकाल पूरा कर चुके कर्मचारियों को म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन नहीं दे पा रही थीं.

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इस वित्तीय संकट की वजह से राजधानी दिल्ली में नागरिक सुविधाएं सही तरीके से आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रही थीं. हालांकि आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. उसका कहना है कि बीजेपी (BJP)  ने चुनाव में हार के डर से इन चुनाव को टाला है. नगर निगमों का एकीकरण तो कभी भी किया जा सकता था.