राजद्रोह कानून की समीक्षा पर विधि आयोग की रिपोर्ट का इंतजार करेगी सरकार

राजद्रोह कानून की समीक्षा पर विधि आयोग की रिपोर्ट का इंतजार करेगी सरकार

गृहमंत्री राजनाथ सिंह

नई दिल्ली:

जेएनयू विवाद की पृष्ठभूमि में विपक्ष ने बुधवार को राजद्रोह कानून को समाप्त करने और इस मामले में सर्वदलीय बैठक बुलाकर विचार करने की मांग की। सरकार ने स्वीकार किया कि इस कानून की परिभाषा काफी व्यापक है। सरकार ने कहा कि इस बारे में विधि आयोग की रिपोर्ट आने के बाद वह सर्वदलीय बैठक में चर्चा करेगी।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में कहा, 'विधि आयोग इस कानून के बारे में समीक्षा कर रहा है। हमारी सरकार ने कहा है कि उन्हें यह रिपोर्ट जल्द से जल्द सौंप देनी चाहिए।' उन्होंने कहा कि इसकी रिपोर्ट आ जाने के बाद सरकार इस बारे में समीक्षा करेगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट आने के बाद ही सर्वदलीय बैठक में बातचीत की जा सकती है।

इससे पहले पूरक सवाल पूछते हुए जेडीयू प्रमुख शरद यादव ने कहा कि यह कानून अंग्रेजों ने बनाया था तथा सरकार को इस औपनिवेशिक विरासत को खत्म करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'इसे समाप्त किया जाना चाहिए।' उन्होंने इस बारे में विचार करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की भी मांग की।

राजद्रोह कानून 'त्रुटिपूण'
शिवसेना के अनिल देसाई के इसी से संबंधित पूरक सवालों का जवाब देते हुए गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि विधि आयोग ने अपनी 42वीं रिपोर्ट में ध्यान दिलाया है कि राजद्रोह कानून 'त्रुटिपूण है किन्तु उसे खत्म करने की बात नहीं कही है।' उन्होंने कहा कि आयोग ने एक अन्य रिपोर्ट में भी राजद्रोह की परिभाषा बदलने की बात कही है, किन्तु कानून को बदलने की बात नहीं कही है।

उन्होंने कहा, 'सरकार के विरुद्ध बोलने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ राजद्रोह कानून के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। संशोधनों के सुझाव दिए गए हैं, क्योंकि परिभाषा काफी व्यापक है... बहुत तरह के मामले हैं। इसी कारण से चिंताएं जताई गई हैं। मैं चाहूंगा कि विधि आयोग बहुत व्यापक समीक्षा करे।'

रिजिजू ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े देते हुए कहा कि देश में साल 2014 में राजद्रोह के कुल 47 मामले दर्ज किए गए। इनमें सबसे अधिक 16 मामले बिहार में दर्ज किए गए, जिनमें 28 लोगों की गिरफ्तारियां की गई। उन्होंने कहा कि दूसरे सबसे अधिक मामले झारखंड में दर्ज किए गए। इसके बाद केरल एवं ओड़िशा का स्थान है।

रिजिजू ने राजद्रोह कानून को लेकर सरकार की विपक्ष द्वारा की गई आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि जेएनयू के मामले को छोड़कर अधिकतर मामले दिल्ली के बाहर दर्ज किये गए हैं।

उन्होंने कहा कि विपक्ष छात्रों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहरा रहा है जबकि तथ्य यह है कि कुछ मामले में राजनीतिक नेताओं के विरूद्ध भी दर्ज किए गए हैं। 'ये तेलंगाना में दर्ज किए गए हैं दिल्ली में नहीं।' उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एवं आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दर्ज किए गए राजद्रोह के मामलों का संकेत किया।

सांप्रदायिक आधार पर बांटने वालों पर भी राजद्रोह?
विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राजद्रोह की व्यापक परिभाषा होने के कारण सरकार के खिलाफ बोलने के कारण देश के आधे से अधिक राजनीतिक दल राष्ट्र विरोधी हो जाएंगे। उन्होंने सवाल किया गया कि देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटने के प्रयास करने वालों को भी क्या राजद्रोह कानून के दायरे में लाया जाएगा।

इस पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'हम विपक्ष के नेता के इस विचार से शत प्रतिशत सहमत हैं कि सांप्रदायिक आधार पर बांटने का प्रयास करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। मैं सभी राज्य सरकारों से सांप्रदायिक आधार पर बांटने का प्रयास करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की आपील करता हूं।'

भाकपा के डी. राजा ने पूरक सवाल पूछते हुए कहा, 'कन्हैया कुमार एवं अन्य के खिलाफ राजद्रोह लगाने के पीछे क्या औचित्य है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री इसका सीधा जवाब दें..' इसके जवाब में रिजिजू ने कहा, 'जेएनयू का मामला अदालत में विचाराधीन हैं तथा इस मामले की जांच चल रही है।' उन्होंने कहा, 'मैं दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को उचित नहीं ठहरा रहा हूं। मैं महज तथ्य बता रहा हूं।'

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)