रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस के साथ रफ़ाल सौदे की बातचीत (Rafale Deal) में प्रधानमंत्री कार्यालय के दखल पर एतराज़ जताया था. अंग्रेज़ी अखबार द हिंदू की ख़बर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय तो सौदे को लेकर बातचीत कर ही रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी अपनी ओर से फ्रांसीसी पक्ष से 'समांतर बातचीत' में लगा था. अखबार के मुताबिक 24 नवंबर 2015 को रक्षा मंत्रालय के एक नोट में कहा गया कि PMO के दखल के चलते बातचीत कर रहे भारतीय दल और रक्षा मंत्रालय की पोज़िशन कमज़ोर हुई. रक्षा मंत्रालय ने अपने नोट में तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का ध्यान खींचते हुए कहा था कि हम PMO को ये सलाह दे सकते हैं कि कोई भी अधिकारी जो बातचीत कर रहे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं है उसे समानांतर बातचीत नहीं करने को कहा जाए.
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इस नोट में ये भी कहा गया कि अगर PMO रक्षा मंत्रालय की बातचीत पर भरोसा नहीं है तो उसे PMO की अगुवाई में नए सिरे से बातचीत शुरू करनी चाहिए. खास बात ये है कि सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वायुसेना उप प्रमुख की अगुवाई में 7 सदस्यीय टीम ने रफ़ाल सौदे (Rafale Deal) पर बातचीत की. सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने इस बातचीत में PMO की भूमिका का कोई ज़िक्र नहीं किया. द हिंदू की इस रिपोर्ट के बाद राफेल डील का मामला फिर गरमा गया है और कांग्रेस को इस मामले में सत्तारूढ़ बीजेपी को घेरने का एक और मौका मिल गया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने द हिंदू की रिपोर्ट से साफ है कि हमारी बात सच साबित हुई. पीएम मोदी खुद इस मामले में बात कर रहे थे और वे घोटाले में शामिल हैं. राहुल गांधी ने कहा कि इस खबर ने प्रधानमंत्री की पोल खोल दी. उन्होंने कहा कि भले ही आप रॉबर्ट वाड्रा और चिदंबरम की जांच कीजिए, मगर राफेल पर भी सरकार को जवाब देना चाहिए.
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