चीन के साथ सीमा पर बढ़े तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने सैन्य बलों की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए 38,900 करोड़ रुपये की लागत से 33 अग्रिम लड़ाकू विमानों, मिसाइल सिस्टम और अन्य सैन्य उपकरणों की खरीद को गुरुवार को मंजूरी दी,. अधिकारियों ने बताया कि 21 मिग-29 लड़ाकू विमान रूस से जबकि, 12 एसयू-30 एमकेआई विमान हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड से खरीदे जाएंगे. मंत्रालय ने मौजूदा 59 मिग-29 विमानों को उन्नत बनाने के एक अलग प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है. अधिकारियों ने बताया कि मंत्रालय ने 248 अस्त्र बीवीआर मिसाइल सिस्टम की खरीद को भी स्वीकृति दी है हवा से हवा में लड़ाई में सक्षम ये मिसाइल सिस्टम सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों से मुकाबला कर सकते हैं और सभी तरह के मौसम में दिन-रात हमेशा इनके काम करने की क्षमता होगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में ये फैसले लिए गए. खरीद के संबंध में डीएसी रक्षा मंत्रालय की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है. डीएसी ने पिनाका मिसाइल सिस्टम के साथ ही लंबी दूरी तक मारक क्षमता वाले मिसाइल सिस्टम की खरीद को भी मंजूरी दी है. इसकी क्षमता 1,000 किलोमीटर तक होगी. एक प्रेस विज्ञप्ति में मंत्रालय ने कहा है कि 'मौजूदा परिस्थिति और हमारी सीमाओं पर रक्षा के लिए सैन्य बलों को मजबूत' करने के वास्ते डीएसी ने ये निर्णय किया है.
पिछले सात हफ्ते से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच तनाव गहरा गया है. गलवान घाटी में 15 जून को भारत के 20 सैन्यकर्मियों की शहादत के बाद तनाव और बढ़ गया है. चीनी सेना को भी नुकसान हुआ, लेकिन उसने हताहत सैनिकों के बारे में कुछ नहीं बताया है. डीएसी द्वारा मंजूर प्रस्तावों में पिनाका हथियार की खरीद तथा अन्य उपकरण शामिल हैं.
अधिकारियों ने बताया कि 21 मिग-29 लड़ाकू विमानों और मिग-29 के मौजूदा बेड़े को उन्नत बनाने पर अनुमानित तौर पर 7,418 करोड़ रुपये खर्च होंगे. जबकि, हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड से 12 नए एसयू-30 एमकेआई विमान की खरीद पर 10,730 करोड़ रुपये की लागत आएगी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डीएसी ने करीब 38,900 करोड़ रुपये की लागत से खरीद को मंजूरी दी है.
मंत्रालय ने कहा, 'स्वदेशी डिजाइन और विकास पर जोर दिया गया है. इस मंजूरी में भारतीय उद्योग से 31,130 करोड़ रुपये की खरीद भी शामिल है. उपकरण का निर्माण भारत में होगा. अग्रणी विक्रेता के तौर पर कई एमएसएमई की भागीदारी से भारतीय रक्षा उद्योग इसे अंजाम देगा.' मंत्रालय ने कहा, 'इनमें से कुछ परियोजनाओं में स्वदेशी सामग्री का खर्च परियोजना लागत के 80 प्रतिशत तक होगा. इनमें से काफी परियोजनाएं डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) द्वारा तकनीक हस्तांतरण के कारण संभव हो पाएंगी.' अधिकारियों ने बताया कि इस रूपरेखा और विकास प्रस्तावों की लागत 20,400 करोड़ रुपये है.
मंत्रालय ने बताया, 'पिनाका मिसाइल सिस्टम से भी मारक क्षमता बढ़ेगी. इसके साथ ही एक हजार किलोमीटर लंबी दूरी की मारक क्षमता वाले मिसाइल सिस्टम से नौसेना और वायुसेना की मारक क्षमता में कई गुणा बढ़ोतरी होगी.' मंत्रालय ने कहा, 'इसी तरह, अस्त्र मिसाइलों को बेड़े में शामिल करने से बल की ताकत में और इजाफा होगा. इससे भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी.'
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं