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This Article is From Oct 11, 2019

मोदी-चिनफिंग की मुलाकात ने बदल डाली ममल्लापुरम की जर्जर झील की किस्मत...

तमिलनाडु के तटीय कस्बे महाबलिपुरम या ममल्लापुरम (Mamallapuram) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi Jinping) की मुलाकात पर्यावरण प्रेमियों, विशेष रूप से जलस्रोतों को लेकर काम करने वालों के लिए अच्छी ख़बर बनकर आई है.

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मोदी-चिनफिंग की मुलाकात ने बदल डाली ममल्लापुरम की जर्जर झील की किस्मत...
इस झील का नाम 'को' (गाय) तथा नेरी (झील) शब्दों को जोड़कर बना है
तमिलनाडु:

तमिलनाडु के तटीय कस्बे महाबलिपुरम या ममल्लापुरम (Mamallapuram) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग (Xi Jinping) की मुलाकात पर्यावरण प्रेमियों, विशेष रूप से जलस्रोतों को लेकर काम करने वालों के लिए अच्छी ख़बर बनकर आई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच पिछले साल चीन के वुहान में पहली बार अनौपचारिक मुलाकात हुई थी, और अब दूसरी दो-दिवसीय अनौपचारिक मुलाकात ममल्लापुरम में तय की गई है, जिसके चलते यहां बड़े पैमाने पर सौंदर्यीकरण तथा सफाई अभियान चलाया गया, और इसी के परिणामस्वरूप यहां की एक जर्जर हालत में पहुंच चुकी झील में नए सिरे से प्राण फूंक दिए गए.

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प्राचीन स्मारक कॉम्प्लेक्स, जिसमें अपने संतुलन की वजह से भौतिकी का चमत्कार मानी जाने वाली गेंद के आकार की चट्टान 'कृष्ण की बटर बॉल' भी मौजूद है, तथा लाइट हाउस के पीछे मौजूद है कोनेरी झील (Koneri lake). इस झील का नाम 'को' (गाय) तथा नेरी (झील) शब्दों को जोड़कर बना है, और इसकी आकृति बैठी हुई गाय जैसी ही लगती है.

कोनेरी झील, बेहद खूबसूरत तथा ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध ममल्लापुरम के स्मारकों के बेहद निकट बची अंतिम जलराशियों में से एक है. पिछले दो दशकों में झील में बहुत ज़्यादा खरपतवार उग आई, और वह बेहद उथली भी हो गई. 'कृष्ण की बटर बॉल' के बेहद निकट होने के बावजूद झील पर पर्यटकों की आवाजाही कतई नहीं होती है.

एन्वायर्नमेंटलिस्ट फाउंडेशन ऑफ इंडिया नामक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने कांचीपुरम जिला प्रशासन के साथ मिलकर इस झील के पुनरुद्धार का बीड़ा उठाया, और इसे दोनों नेताओं की अनौपचारिक बैठक से पहले पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया.

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यह परियोजना इस NGO के लिए भी मील का पत्थर साबित होगी, क्योंकि यह देश की 100वीं जलराशि होगी, जिसका वे पुनरुद्धार कर रहे हैं. झील को पूर्वोत्तर मॉनसून का इंतज़ार है, और यह नागरिक समाज द्वारा जल संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की ताकत का प्रमाण बनेगी.

झील की तलहटी से मलबा, नॉन-डीग्रेडेबल कचरा और खरपतवार को पूरी तरह साफ कर दिया गया है. इसके बाद पूरी झील को गहरा भी किया गया, और झील के भीतर ही कुछ छोटी-छोटी नहरें भी बनाई गईं, जो तीन रीचार्ज कुओं तक जाती हैं. इसके अलावा पूरी परिधि में किनारों को भी मज़बूत किया गया है. झील में अंग्रेज़ी अक्षर 'जी' के आकार का द्वीप तथा बांस का बना गार्डन भी इसकी खूबसूरती को दोबाला करते हैं.

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