सरकार ने कोहिनूर हीरे के मुद्दे पर पलटी मारते हुए कहा कि वह बेशकीमती हीरे को वापस लाने के लिए पूरी कोशिश करेगी। हालांकि इससे पहले उसने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इसे ब्रिटिश शासकों द्वारा 'न तो चुराया गया था और न ही जबरन छीना' गया था, बल्कि पंजाब के शासकों ने इसे दिया था।
कोहिनूर ना चुराया गया, ना छीना गया
सरकार ने एक बयान में कहा कि मीडिया में 'जो बात गलत ढंग से पेश की जा रही है' उसके उलट उसने अभी अपनी राय से अदालत को अवगत नहीं कराया है। इससे एक दिन पहले सॉलीशीटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, 'यह नहीं कहा जा सकता कि कोहिनूर को चुराया या जबरन ले जाया गया है, क्योंकि इसे महाराजा रंजीत सिंह के उत्तराधिकारी ने ईस्ट इंडिया कंपनी को सिख योद्धाओं की मदद की एवज में 1849 में दिया था।'
कोहिनूर पर आई खबरें तथ्यहीन
कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मांग की गई है कि सरकार ब्रिटेन से 20 करोड़ डॉलर से अधिक कीमत का कोहिनूर हीरा वापस लाने के लिए कदम उठाए। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस मुद्दे पर आई खबरें 'तथ्यों पर आधारित नहीं हैं'। इसमें कहा गया है कि सरकार कोहिनूर को मैत्रीपूर्ण ढंग से कोहिनूर हीरे को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करने के अपने संकल्प को दोहराती है।
सोलिसिटर जनरल ने अदालत को बस बताया कोहिनूर का इतिहास
विज्ञप्ति में कहा गया है कि वास्तविक स्थिति यह है कि मामला इस समय न्यायालय के विचाराधीन है और जनहित याचिका को अभी स्वीकार किया जाना बाकी है। इसमें कहा गया है, 'भारत के सोलिसिटर जनरल से कहा गया था कि वह भारत सरकार के विचार जानें, जो अब तक नहीं बताए गए हैं। भारत के सोलिसिटर जनरल ने माननीय अदालत को हीरे के इतिहास के बारे में सूचित किया और एएसआई द्वारा उपलब्ध कराए गए मौजूदा व्याख्यानों के आधार पर एक मौखिक बयान दिया था। इसलिए यह दोहराया जाना चाहिए कि भारत सरकार ने अभी तक अदालत को अपने विचारों से अवगत नहीं कराया गया है।'
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि अदालत ने सोलिसिटर जनरल की अपील पर छह सप्ताह का समय दिया ताकि वह इस मामले में अपना जवाब देने के लिए निर्देश ले सकें। विज्ञप्ति में कहा गया है, 'इसमें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के 1956 के विचारों को भी पेश किया है। पंडित नेहरू ने रिकॉर्ड में यह बात कही थी कि इस खजाने को वापस लाने का दावा करने का कोई आधार नहीं है। उन्होंने साथ ही यह भी कहा था कि कोहिनूर को वापस लाने के प्रयासों से मुकिश्लें पैदा होंगी।'
विज्ञप्ति में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके प्रयासों से भारतीय इतिहास की तीन कलाकृतियां स्वदेश वापस आई हैं, जिनसे संबंधित देशों के साथ रिश्ते प्रभावित नहीं हुए।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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