सरकार ने सोशल मीडिया पर डाटा शेयर करने पर कड़ा ऐतराज जताया है
नई दिल्ली:
पिछली सुनवाई में पांच जजों की संविधान पीठ में केंद्र ने कहा था कि फिलहाल इस मामले की सुनवाई को टाला जाए क्योंकि केंद्र वाट्सऐप, फेसबुक और अन्य ऐप्स में लोगों के डाटा को महफूज करने के लिए कानून बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. केंद्र सरकार यह भी देख रही है कि क्या ऐसा कानून बनाया जा सकता है जिसके तहत सर्विस दाता कंपनी या ऐप के डाटा शेयर करने पर रोक लगाई जा सके.
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ऐप्स को इस्तेमाल करने वाले का सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रोफाइल तैयार हो जाता है जिसे बाद में बाजार में व्यावसायिक तौर पर बेच दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है. सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए संविधान पीठ का गठन किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह मुद्दा कोर्ट में देने को कहा था.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने पहले ही कहा था कि यह मामला 'क्या राइट टू प्राइवेसी' के हनन का है? इसकी सुनवाई छुट्टियों मे संविधान पीठ करेगी. वकीलों की मांग है कि ये सुनवाई सात जजों की बेंच करे.
गत जनवरी में वाट्सऐप के डाटा को फेसबुक से जोड़ने के मामले में निजी डाटा और प्राइवेसी के लिए दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, ट्राई, वाट्सऐप और फेसबुक को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा था. याचिका में कहा गया है कि हर व्यक्ति की प्राइवेसी का मामला है और केंद्र सरकार को इसके लिए कोई नियम बनाना चाहिए. वाट्सऐप के फेसबुक से डाटा शेयर करने का मामला सीधे-सीधे प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन है. इसलिए ट्राई द्वारा कोई नियम बनाया जाना चाहिए. यह मामला 155 मिलियन लोगों के डाटा से जुडा है.
लांकि चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि ये फ्री सर्विस है. अगर आपको डाटा शेयर होने का डर है तो आप इसे इस्तेमाल क्यों करते हैं? या तो आप इसे लीजिए या इस सर्विस को छोड़ दीजिए.
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल 23 सितंबर को व्हाट्सऐप को 25 सितम्बर तक का यूजर डेटा भी डिलीट करने को कहा था. हाईकोर्ट का कहना था कि 25 सितम्बर से पहले अगर कोई यूजर अपना अकाउंट डिलीट करता है और उसे फेसबुक के साथ साझा नहीं करता है तो कंपनी को सूचना सर्वर से डीलीट करनी होगी. लेकिन 25 सितंबर के बाद के डेटा को व्हाट्सऐप, फेसबुक के साथ साझा कर सकता है.
यह फैसला हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका के तहत दिया था जिसमें व्हाट्सऐप की शेयरिंग पॉलिसी पर सवाल उठाया गया था. बता दें इससे पहले व्हाट्सऐप ने अपनी नीति में बदलाव कर अपने यूज़र्स का डेटा फेसबुक के साथ शेयर करने की बात कही थी. इसका मकसद यूज़र्स तक सटीक विज्ञापन पहुंचाना था.
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ऐप्स को इस्तेमाल करने वाले का सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रोफाइल तैयार हो जाता है जिसे बाद में बाजार में व्यावसायिक तौर पर बेच दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है. सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए संविधान पीठ का गठन किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह मुद्दा कोर्ट में देने को कहा था.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने पहले ही कहा था कि यह मामला 'क्या राइट टू प्राइवेसी' के हनन का है? इसकी सुनवाई छुट्टियों मे संविधान पीठ करेगी. वकीलों की मांग है कि ये सुनवाई सात जजों की बेंच करे.
गत जनवरी में वाट्सऐप के डाटा को फेसबुक से जोड़ने के मामले में निजी डाटा और प्राइवेसी के लिए दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, ट्राई, वाट्सऐप और फेसबुक को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा था. याचिका में कहा गया है कि हर व्यक्ति की प्राइवेसी का मामला है और केंद्र सरकार को इसके लिए कोई नियम बनाना चाहिए. वाट्सऐप के फेसबुक से डाटा शेयर करने का मामला सीधे-सीधे प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन है. इसलिए ट्राई द्वारा कोई नियम बनाया जाना चाहिए. यह मामला 155 मिलियन लोगों के डाटा से जुडा है.
लांकि चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि ये फ्री सर्विस है. अगर आपको डाटा शेयर होने का डर है तो आप इसे इस्तेमाल क्यों करते हैं? या तो आप इसे लीजिए या इस सर्विस को छोड़ दीजिए.
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल 23 सितंबर को व्हाट्सऐप को 25 सितम्बर तक का यूजर डेटा भी डिलीट करने को कहा था. हाईकोर्ट का कहना था कि 25 सितम्बर से पहले अगर कोई यूजर अपना अकाउंट डिलीट करता है और उसे फेसबुक के साथ साझा नहीं करता है तो कंपनी को सूचना सर्वर से डीलीट करनी होगी. लेकिन 25 सितंबर के बाद के डेटा को व्हाट्सऐप, फेसबुक के साथ साझा कर सकता है.
यह फैसला हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका के तहत दिया था जिसमें व्हाट्सऐप की शेयरिंग पॉलिसी पर सवाल उठाया गया था. बता दें इससे पहले व्हाट्सऐप ने अपनी नीति में बदलाव कर अपने यूज़र्स का डेटा फेसबुक के साथ शेयर करने की बात कही थी. इसका मकसद यूज़र्स तक सटीक विज्ञापन पहुंचाना था.
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