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This Article is From Oct 12, 2013

‘फिलिन’ ओडिशा, उत्तरी आंध्र तट पर पहुंचा, सात लाख से ज्यादा को निकाला गया, पांच की मौत

भुवनेश्वर/हैदरबाद/गोपालपुर/श्रीकाकुलम:

साल 1999 के खतरनाक महाचक्रवात के बाद अब तक का दूसरा सबसे भीषण चक्रवाती तूफान ‘फिलिन’ रात में ओडिशा के तट पर आ पहुंचा जिसकी वजह से राज्य और निकटवर्ती उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश में मूसलाधार बारिश हुई और 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलीं।

ओडिशा के तटीय जिलों, खासतौर से गंजाम, जहां का गोपालपुर-आन-सी तूफान का प्रवेश बिंदु था, में चारों तरफ अंधकार था, तूफान के वेग के कारण पेड़ और बिजली के खंबे उखड़ गए। भारी वर्षा के कारण लोग घरों के भीतर रहे और सड़कों पर वाहन रुक गए।

राजधानी भुवनेश्वर के अलावा राज्य के तटीय जिलों गजपति, खुर्दा, पुरी, जगतसिंहपुर, नयागढ़, कटक, भद्रक और केन्द्रपाड़ा में भारी से बहुत भारी बारिश हुई। हालांकि, चक्रवात से हुए नुकसान के बारे में अभी मालूम नहीं हो सका।

केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि 14 वर्ष पहले आए महा चक्रवात में 10 हजार लोगों की जान गई थी और फिर ऐसी किसी घटना से बचने के लिए ओडिशा में करीब सात लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है जबकि आंध्र प्रदेश में एक लाख से ज्यादा लोग सुरक्षित जगहों पर ले जाए गए हैं।

तूफान से पहले हुई भारी वर्षा से ओडिशा में पांच लोगों की मौत हो गई है। इनमें से एक महिला सहित तीन लोगों की मौत पेड़ गिरने के कारण हुई।

मौसम विभाग के महानिदेशक एलएस राठौर ने नई दिल्ली में संवाददाताओं को बताया कि चक्रवात ने गोपालपुर कस्बे के बहुत नजदीक रात नौ बजे के करीब दस्तक दी और ओडिशा के तट को पार करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, ‘अभी चक्रवात की रफ्तार बढ़ने की आशंका बनी हुई है और यह छह घंटे तक बहुत भीषण रह सकता है। तटीय इलाके में पहुंचने के बाद भी इसके वेग में कोई ज्यादा कमी नहीं आने वाली है।’

राठौर ने कहा, "चेतावनी के बावजूद कुछ लोग प्रभावित इलाकों में बने हुए हैं। सुरक्षा बलों ने उन्हें चेतावनी दी है। पुलिस उन्हें वहां से हटाने की कोशिश में लगी हुई है।"

चक्रवाती तूफान फिलिन के ओडिशा तट से टकराने से पहले ही तटीय इलाके भारी बारिश और तेज हवाओं की चपेट में आ गए और इसमें कम से कम पांच व्यक्तियों की मौत हो गई। इनमें से दो की मौत गंजम जिले में जबकि दो की मौत जगदीशपुर जिले में तथा एक व्यक्ति की मौत भुवनेश्वर में हुई।

चार मौतें पेड़ों के उखड़कर व्यक्तियों के ऊपर गिरने के कारण हुईं। एक 80 वर्षीय महिला की मौत उस समय हो गई, जब वह अपने मिट्टी के मकान में सो रही थी और मकान ढह गया।

उल्लेखनीय है कि चक्रवाती तूफान की अत्यधिक तीव्रता की आशंकाओं के मद्देनजर आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय इलाकों से चार लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

चक्रवात के प्रभाव में आने वाले इलाकों में सेना, वायु सेना, नौसेना, सीआरपीएफ और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के जवानों को तैनात किया गया है। चक्रवात का केन्द्र गोपालपुर के 150 किलोमीटर दक्षिणपूर्व और परादीप के 260 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में है।

फिलिन के नजदीक आने के कारण ओडिशा के तटीय इलाके में पानी का स्तर बढ़ता जा रहा है। तटीय क्षेत्र के गजपति, गंजम, पुरी, जगतसिंहपुर, नयागढ़, कटक, भद्रक और केन्द्रपाड़ा जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की खबर मिली है।

मौसम विभाग के बुलेटिन के मुताबिक, ‘ओडिशा के तटीय जिलों में चक्रवात के प्रभाव से हवा की रफ्तार 210-220 के बीच और कहीं-कहीं 240 किलोमीटर तक जा सकती है।’

ओडिशा के गोपालपुर में शाम 6 बजे से तेज बारिश हो रही है। तेज हवाओं और खराब मौसम के चलते समंदर में ऊंची लहरें उठ रही हैं। भारी तबाही की भारी आशंका जताई जा रही है। फिलहाल ओडिशा और आंध्र में भारी बारिश जारी है। कई इलाकों की बिजली काट दी गई है।

मौसम विभाग ने कहा कि करीब छह घंटे तक इसका कहर रहेगा। 12 घंटे बाद यह कमजोर पड़ना शुरू होगा। तूफान के दौरान हवाएं 210-220 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकती है तथा लहरें साढ़े तीन मीटर तक ऊंची उठ सकती है, जो जमीन पर 300-600 मीटर तक भीतर प्रवेश कर सकती है।

गोपालपुर से यह तुफान 90 किलोमीटर दूर है, जिसकी वजह से यहां का मौसम काफी बिगड़ गया है। शहर को खाली करवा लिया गया है। प्रशासन ने अपील की है कि लोग कच्चे मकानों की जगह पक्के मकानों में रहें। वहीं एयर इंडिया ने दिल्ली-भुवनेश्वर की उड़ान रद्द कर दी है। इसके साथ ही भुवनेश्वर एयरपोर्ट को भी बंद किया गया है। रेलवे ने 56 ट्रेनें  रद्द की हैं और 16 का रास्ता बदल दिया है। नेवी के दो जहाज तैयार खड़े हैं। फौज के 40 हेलीकॉप्टर भी तैयार हैं।

मौसम विभाग के महानिदेशक एलएस राठौर ने संवाददाताओं से कहा, 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। वह आगे बढ़ने से पहले छह घंटे तक वहां टिका रह सकता है।  उन्होंने कहा कि बाद में हवा की रफ्तार 240 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है।

यह उत्तरी आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय इलाकों कीलपट्टनम और पारादीप से होकर गुजरेगा। तूफान से निपटने के लिए प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली है। आर्मी, एयर फोर्स और नेवी को अलर्ट पर रखा गया है। नेवी के गोताखोरों की टीम तैयार है, वहीं एनडीआरएफ की 34 टीमें ओडिशा और आंध्र प्रदेश में पहुंच चुकी हैं। वहीं फौज के 40 हेलीकॉप्टरों को तैयार रखा गया है।

आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अलावा उत्तरी छत्तीसगढ़, दक्षिणी झारखंड, बिहार, पूर्व उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के तटीय हिस्सों में इसके प्रभाव से बारिश की संभावना है।

वहीं उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का कहना है कि जिन लोगो को उनके घरों से राहत शिविरों में ले जाया जा रहा है उनके लिए सभी सुविधाओं का इंतजाम कर लिया गया है।

इसके कारण लाखों लोगों को इलाकों को छोड़ना पड़ रहा है वहीं 1999 में आए विनाशकारी तूफान की यादें भी ताजा हो गई हैं, जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी।

कुछ विशेषज्ञ फैलिन की तुलना कैटरीना से भी कर रहे हैं, जिसने 2005 में अमेरिका के कुछ हिस्सों में तबाही मचाई थी और करीब 1,800 लोग मारे गए थे।

तूफान का सर्वाधिक संकट पांच जिलों पर मंडरा रहा है। भारतीय मौसम-विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ एलएस राठौर ने ओडिशा के गंजाम, खुर्दा, पुरी और जगतसिंहपुर जिलों तथा आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में सबसे ज्यादा नुकसान की आशंका जताई है।

इस बीच, ओडिशा सरकार ने इस संबंध में सूचना उपलब्ध कराने के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं।

सूत्रों के मुताबिक ओडिशा केंद्रीय नियंत्रण कक्ष का हेल्पलाइन नंबर 0674-2534177 है। इसके अलावा मयूरभंज, जाजपुर, गजपति, ढेंकानल, खुर्दा, क्योंझर, कटक, गंजाम, पुरी, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, बालेश्वर और भद्रक जिलों के लिए भी हेल्पलाइन शुरू की गई हैं।

ओडिशा में भीषण चक्रवात ‘फैलिन’ के प्रकोप से बचने के लिए हजारों लोग राज्य के बंदरगाह शहर पारादीप को छोड़ कर चले गए हैं।

शहर छोड़कर जाने वाले लोगों में इंडियन ऑयल निगम लिमिटेड (आईओसीएल) की रिफायनरी, पारादीप पोर्ट ट्रस्ट (पीपीटी), पारादीप फॉस्फेट लिमिटेड (पीपीएल), इफको और एस्सार स्टील संयंत्र सहित विभिन्न उद्योगों के कर्मचारी शामिल हैं।

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