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This Article is From Jan 22, 2021

CWC की बैठक में प्रस्ताव, आंदोलन कर रहे किसानों को जबरन 'राष्ट्र विरोधी' साबित करने षड्यंत्र में लगी है मोदी सरकार

CWC की बैैठक में प्रस्ताव पेश हुआ. इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री और अहंकार में डूबी भाजपा सरकार फिर भी उनका दर्द व पीड़ा समझने तथा उनकी न्याय की गुहार को सुनने तक से इंकार करती है. 

CWC की बैठक में प्रस्ताव, आंदोलन कर रहे किसानों को जबरन 'राष्ट्र विरोधी' साबित करने षड्यंत्र में लगी है मोदी सरकार
CWC की बैठक में प्रस्ताव पेश कर मोदी सरकार पर साधा गया निशाना

कांग्रेस की कार्यसमिति की शुक्रवार को बैठक हुई  जिसमें कांग्रेस कार्यसमिति ने किसानों के समर्थन में एक प्रस्ताव पेश किया. इसमें कहा गया है कि मोदी सरकार द्वारा अपने मित्र पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए खेती व किसानी के खिलाफ कुत्सित भावना से लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में भारत के करोड़ों किसान अपने खेत एवं जमीन, जीवन व आजीविका, अपने वर्तमान एवं अपने भविष्य को बचाने के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं. कंपकपाती ठंड, ओले और बारिश में दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसान खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं. किसान संगठनों के अनुसार मोदी सरकार के इस बर्बर खेल में अभी तक 147 किसान अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे हैं. 

अहंकार में डूबी भाजपा सरकार पीड़ा नहीं समझ रही

प्रधानमंत्री और अहंकार में डूबी भाजपा सरकार फिर भी उनका दर्द व पीड़ा समझने तथा उनकी न्याय की गुहार को सुनने तक से इंकार करती है. पूरे देश में किसान व खेत मजदूर आंदोलन कर रहे हैं, रैलियां निकाल रहे हैं, भूख हड़ताल पर बैठे हैं, ट्रैक्टर यात्रा कर रहे हैं और व्यापक तौर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अत्याचारी भाजपा सरकार लाखों किसानों के रोष को खारिज कर उनको जबरन ‘राष्ट्र विरोधी' साबित करने के षडयंत्र में लगी है. 

तीनों कृषि कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं


कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) का मानना है कि ये तीनों कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं और देश में दशकों से स्थापित खाद्य सुरक्षा के तीन स्तंभों- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), सरकारी खरीद एवं राशन प्रणाली यानि पीडीएस को खत्म करने की शुरुआत हैं। सीडब्लूसी का यह भी मानना है कि इन तीन कृषि कानूनों की संसदीय समीक्षा तक नहीं की गई और विपक्ष की आवाज को दबाकर उन्हें जबरदस्ती थोप दिया गया.

खासकर, राज्यसभा में इन तीनों कानूनों को ध्वनि मत द्वारा अप्रत्याशित तरीके से पारित कराया गया, क्योंकि सदन में सरकार के पास जरूरी बहुमत नहीं था. अंत में इन तीनों कानूनों को लागू करने से देश का हर नागरिक प्रभावित होगा क्योंकि खाने-पीने की हर चीज की कीमत का निर्धारण मुट्ठीभर लोगों के हाथ में होगा. एक समावेशी भारत में इसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता. 
भारत के किसानों एवं खेत मजदूरों की केवल एक मांग है - इन तीन विवादास्पद कानूनों को खत्म किया जाए, लेकिन केंद्र सरकार किसानों को बरगलाकर, बांटकर, धमकाकर उनके साथ सौतेला व्यवहार, धोखा एवं छल कर रही है. भाजपा सरकार को यह अटल सच्चाई जान लेनी चाहिए कि भारत का किसान न तो झुकेगा और न ही पीछे हटेगा. कांग्रेस कार्यसमिति की मांग है कि मोदी सरकार इन तीन कृषि विरोधी काले कानूनों को फौरन निरस्त करे.

सैन्य अभियानों की गोपनीयता का घोर उल्लंघन हुआ है
इसके साथ ही प्रस्ताव में ये भी कहा गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने एवं अन्य मामलों के सनसनीखेज खुलासों की जेपीसी जांच हो. कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) देश की सुरक्षा से खिलवाड़ को उजागर करने वाली षड्यंत्रकारी बातचीत के हाल ही में हुए खुलासों पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है. यह स्पष्ट है कि इसमें शामिल लोगों में मोदी सरकार में सर्वोच्च पदों पर आसीन लोग शामिल हैं और इस मामले में महत्वपूर्ण व संवेदनशील सैन्य अभियानों की गोपनीयता का घोर उल्लंघन हुआ है. इस सनसनीखेज खुलासे में सरकारी मामलों की गोपनीयता तथा पूरे सरकारी ढांचे को मिलीभगत से कमजोर करने, सरकारी नीतियों पर बाहरी व अनैतिक तरीके से दबाव बनाने और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कुत्सित हमले के अक्षम्य अपराधों की जानकारी प्रथम दृष्टि से सामने आई है. इससे मोदी सरकार एवं सरकार से बाहर बैठे मित्रों के बीच एक षडयंत्रकारी साजिश तथा निंदनीय गठबंधन का पर्दाफाश हुआ है.
सुराक्षा से हो रहा खिलवाड़

चौंकाने वाली बात यह है कि इन खुलासों के कई दिन बाद भी प्रधानमंत्री और केंद्रीय भाजपा सरकार पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं. सच्चाई यह है कि उनकी चुप्पी, उनकी मिलीभगत, अपराध में साझेदारी एवं प्रथम दृष्टि से दोषी होने का सबूत है, लेकिन जिम्मेदारी व जवाबदेही सुनिश्चित करने की निरंतर उठ रही मांग को दबाया नहीं जा सकता. यह तूफान रुकेगा नहीं और हम देश की सुरक्षा को खतरे में डालने एवं विरोधियों की मदद करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार से जवाब मांगते रहेंगे. कांग्रेस कार्यसमिति देश की सुरक्षा से खिलवाड़, ऑफिशियल सीक्रेट्स अधिनियम के उल्लंघन एवं उच्चतम पदों पर बैठे इसमें शामिल लोगों की भूमिका की तय समय सीमा में संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच कराए जाने की मांग करती है. अंत में, जो लोग राजद्रोह के दोषी हैं, उन्हें कानून के सामने लाया जाना चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए.


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