विज्ञापन
This Article is From Dec 11, 2020

पोस्ट कोविड परेशानी की वजह बनती कोविड दवा, खुद से लेना है घातक!

गम्भीर मरीज़ों में जल्द रिकवरी के लिए रेमडेसिविर, टोसिलिज़ुमाब, स्ट्रेरोईड भी बड़ी सावधानी और जांच के बाद ही दी जा रही है क्योंकि इनके साइडएफेक्ट्स भी घातक हैं. 

पोस्ट कोविड परेशानी की वजह बनती कोविड दवा, खुद से लेना है घातक!
प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:

जिस दिक़्क़त को हम पोस्ट कोविड बीमारी या परेशानी बोल रहे हैं, उसका एक कारण कोविड के लिए दी जा रही दवा को भी माना जा रहा है. जबकि कई लोग बिना डॉक्टर की सलाह पर ये दवाएं ले ले रहे हैं. कोविड के नाम पर शुरू से अब तक जो दवाएं दी गयी हैं, डॉक्टर की ज़ुबानी सुनिए इनके साइडइफ़ेक्ट कितने घातक हैं.

मलेरिया की दवा ‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन' पहली दवा थी जिसे कोरोना के इलाज में शामिल किया गया...इसके बाद फ़ेविपिराविर (Favipiravir), रेमडेसिवीर (Remdesivir), टोसिलीजुमाब (Tocilizumab) जैसी दवाओं का इस्तेमाल चला..लेकिन सरकारी, प्राइवेट कोविड अस्पतालों और  कोविड टास्क फ़ोर्स के डाक्टर की ज़ुबानी सुनिए ये दवाएं, शरीर पर क्या प्रभाव डालती हैं! 

बीकेसी-कोविड जंबो फ़सिलिटी(BMC) के डीन डॉ राजेश डेरे ने एनडीटीवी को बताया, ‘'अगर किसी को हार्ट की दिक़्क़त है और बिना जांच किए आपने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ली तो कार्डियैक प्रोब्लम के चांसेस हैं और कुछ को ऐसा हुआ भी है. तो इन दवा के ड्रॉबैक्स हैं, इसलिए सुपरविजन में ही देना ज़रूरी है प्रॉपर ब्लड इंवेस्टिगेशन किए बग़ैर इसको देना ग़लत है, और ऐसे मेडिसिन ‘सेल्फ़ मेडिकेशन' में लेना तो हाई रिस्क है.''

यह भी पढ़ें- मनोचिकित्सक भी मानसिक तनाव में, ‘मरीज़ों की बढ़ी संख्या,लम्बे सेशन तनाव में डाल रहे हैं'

महाराष्ट्र कोविड टास्क फ़ोर्स के डॉ राहुल पंडित ने बताया, 'फ़ेविपिराविर टैबलेट ये पहले 18टैब लेनी पड़ती थी, इसका अहम साइड इफ़ेक्ट ये है की ये लिवर के एंज़ायम को ख़राब करता है, और यूरिक ऐसिड की लेवल बढ़ाता है, और गाउट के मरीज़ों को तकलीफ़ दे सकता है.''

वहीं गम्भीर मरीज़ों में जल्द रिकवरी के लिए रेमडेसिविर, टोसिलिज़ुमाब, स्ट्रेरोईड भी बड़ी सावधानी और जांच के बाद ही दी जा रही है क्योंकि इनके साइडएफेक्ट्स भी घातक हैं. 

साई कोविड हॉस्पिटल के डॉ द्यानेश्वर वाघमारे का कहना है, ‘'तीसरी दवा जो हम इस्तेमाल करते हैं वो है रेमडेसिवीर, इसका एक्सपीरियंस ज़रा बेहतर है, हालांकि जिनको लिवर-किड्नी का प्रॉब्लम है उनमें ये प्रॉब्लम बढ़ जाती है, किड्नी के मरीज़ को ऑल्टर्र्नेट देते हैं, लिवर के मरीज़ में हेपटाइटिस की शिकायत हो सकती है तो कुछ मरीज़ों को ये बहुत ध्यान से देना पड़ता है. या बंद भी करना पड़ सकता है. वहीं स्टेरोइड और टोसिलिज़ुमाब से इम्यूनिटी ख़त्म हो जाती है बोन वीक हो जाते हैं, पेट में अल्सर होने का. चाँस रहता है, दोनो दवा अच्छी है, अगर ढंग से इस्तेमाल किया तो साइडइफ़ेक्ट्स कम कर सकते हैं.'' 

बीकेसी-कोविड जंबो फ़सिलिटी के डीन डॉ राजेश डेरे का कहना है, ‘'लोग भी इसकी ज्यादा मांग कर रहे थे, डॉक्टर हेल्थवर्कर के दिमाग़ में भी आया था की इसके सिवा कोई चारा नहीं है, ICMR और WHO का गाइड्लाइन कहता है की इनको पूरी सावधानी से इस्तेमाल करो, बंद नहीं किया है.''

कोविड को डॉक्टर अभी समझ ही रहे हैं. इसके इलाज में तरह-तरह के प्रयोग चले. लेकिन कोविड के बाद की मुश्किलें भी बहुत सारी सामने आईं. डॉक्टरों का बहुत साफ़ कहना है कि इसलिए कोविड के नाम पर कोई भी दवा अपनी मर्ज़ी से न लें., उसके साइड इफेक्ट आपको बाद में ख़तरे में भी डाल सकते हैं.  

अवसाद में डॉक्टर : मरीज बढ़े, लंबे सेशन से तनाव

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com